नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। तानिया सचदेव को शतरंज ओलंपियाड में स्वर्ण जीतने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा, क्योंकि 2022 में महिला टीम शीर्ष पुरस्कार से चूक गई थी। लेकिन 2024 वह वर्ष साबित हुआ जब महिला टीम ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता और सचदेव, जो 2008 से ओलंपियाड में प्रतिस्पर्धा कर रही थीं, के लिए यह जीत बहुत खास थी।
एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में शतरंज ओलंपियाड 2024 की स्वर्ण पदक विजेता तानिया सचदेव ने कहा, “हमने लगातार 7 जीत दर्ज की और आठवां मैच पोलैंड से हार गए। 2022 में चेन्नई ओलंपियाड में भी हम ठीक उसी स्थिति में थे। अतीत की यादें हमेशा आपके दिमाग में रहती हैं। शोर को रोकना महत्वपूर्ण है। हम पोलैंड के खिलाफ हार से वापस आए और हमें पता था कि हमें यह जीतना है। हमें आखिरी मैच में कड़ी मेहनत करनी थी और टीम ने आखिरी दिन वास्तव में अच्छा प्रदर्शन किया।”
तानिया ने ऐतिहासिक जीत पर कहा, “टीम में हम में से बहुतों के लिए यह जीवन भर की यात्रा थी।”
वहीं इस मंच पर शतरंज की एक अन्य रॉकस्टार वंतिका अग्रवाल (डबल गोल्ड मेडलिस्ट, शतरंज ओलंपियाड 2024) और कोच अभिजीत कुंटे, भी मौजूद थे।
एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में 2024 की महिला शतरंज टीम के कोच अभिजीत कुंटे ने कहा, “जब मैं 1997 में राष्ट्रीय चैंपियन बना था, तब मैं 24 साल का सबसे युवा राष्ट्रीय चैंपियन था। आज, ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली 10 टीम के खिलाड़ियों में से छह 21 वर्ष से कम उम्र की हैं।”
उनका मानना था कि भविष्य में इस खेल में भारत और अधिक प्रभाव छोड़ेगा। काफी चीजें बदल रही है और नए टैलेंट भी सामने आ रहे हैं।
डबल गोल्ड मेडलिस्ट वंतिका अग्रवाल ने कहा, “मैं अभी भी वही दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स वाली लड़की हूं। डबल गोल्ड जीतने के बाद भी कुछ नहीं बदला है।”
उन्होंने ऐतिहासिक क्षणों का याद करते हुए कहा कि जब टीम जीत के बाद एक साथ थी, तब उन सबने एक स्पेशल मूमेंट का लुत्फ उठाया था।
–आईएएनएस
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