अपने देश के बारे में हमारा नजरिया सुनने को रहें तैयार, एस जयशंकर की विदेशी राजनयिकों को चेतावनी

अपने देश के बारे में हमारा नजरिया सुनने को रहें तैयार, एस जयशंकर की विदेशी राजनयिकों को चेतावनी

जिनेवा, 13 सितंबर (आईएएनएस)। भारत में तैनात कुछ विदेशी राजनयिकों द्वारा हाल में की गई टिप्पणियों पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दूतों और उनके नेताओं को अपने देश और वहां के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के बारे में भारत का दृष्टिकोण सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए।

विदेश मंत्री जयशंकर ने जिनेवा में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत में कहा, “अगर लोग हमारी राजनीति के बारे में टिप्पणी करते हैं तो मुझे कोई समस्या नहीं है। लेकिन फिर, मुझे लगता है कि उन्हें अपनी राजनीति के बारे में मेरी टिप्पणियों को सुनने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। आखिरकार, एक पारस्परिक सम्मान वाली, अधिक समानता वाली दुनिया कैसे बनाई जाए? क्योंकि हर कोई कहता है कि हम बराबर हैं, लेकिन वे वास्तव में उस तरह से व्यवहार नहीं करते हैं। यह कुछ हद तक एनिमल फार्म जैसा है – कुछ लोग दूसरों की तुलना में अधिक समान हैं।”

जयशंकर नई दिल्ली में विदेशी राजनयिकों द्वारा भारतीय राजनीति के बारे में अक्सर अपने विचार व्यक्त करने से संबंधित प्रश्न का उत्तर दे रहे थे।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “अक्सर देश-विदेश में वही करते हैं, जिसके प्रति वे अपने देश में संवेदनशील होते हैं। इसलिए, जब भी लोग ऐसा कुछ करते हैं, तो उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि ऐसा उनके अपने देश में होता, तो क्या होता। यह ऐसी चीज है जिसके बारे में उन्हें विचार करना चाहिए।”

जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान, विदेश मंत्री ने पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला।

जयशंकर ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में हमारे हाई-स्पीड रोड कॉरिडोर में आठ गुना वृद्धि हुई है और हर दिन 28 किलोमीटर राजमार्ग जुड़ रहे हैं। 2014 में छह मेट्रो नेटवर्क से बढ़कर अब हमारे पास 21 हैं। इस अवधि में बंदरगाह संचालन दोगुना हो गया है और हम अब हर साल लगभग सात से आठ नए हवाई अड्डे बना रहे हैं। बुनियादी ढांचा, जो अतीत में हमें बांधे रखता था, अब बदल रहा है।”

विदेश मंत्री ने कहा, “दस साल पहले 387 मेडिकल कॉलेज थे, जो अब बढ़कर 706 हो गए हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों की संख्या सात से बढ़कर 22 हो गई है। उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और स्कूलों में लड़कों की तुलना में लड़कियों का नामांकन अधिक हुआ है। 2014 की आधार रेखा वास्तव में पिछले 10 वर्षों में दोगुनी हो गई है। आज हमारे पास और बेहतर करने का आत्मविश्वास और अनुभव है।”

मंत्री ने कहा कि गरीबी एक ‘बड़ी चुनौती’ बनी हुई है, हालांकि 2014 से 250 मिलियन लोग गरीबी से बाहर आ चुके हैं। उन्होंने देश भर में 12 औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना का भी उल्लेख किया, जो ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग को आकर्षित करेंगे।

विदेश मंत्री ने कहा, “कई मामलों में हम ऐतिहासिक कमियों को सुधार रहे हैं। भारत के पश्चिमी तट पर नज़र डालें, तो समूचे पश्चिमी तट पर गहरे पानी के बंदरगाह नहीं हैं। इसके चलते हमारा बहुत शिपिंग खाड़ी और पश्चिमी दुनिया में जाता है, यह एक प्रमुख जरूरत है और फिर भी इतने लंबे समय तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया। अब, हमारे पास पूरे बंदरगाह नेटवर्क को विकसित करने की योजना है।” उन्होंने कहा कि इसके लिए कड़ी मेहनत की जरूरत है और एक दिन में यह नहीं हो सकता।

जयशंकर ने कहा, “हमारे देश में मैन्युफैक्चरिंग को लेकर एक बड़ी बहस चल रही है। कुछ लोग पूछते हैं कि हम चीन से इतना आयात क्यों कर रहे हैं? इसका एक कारण यह भी है कि हमने 1960, 80, 90 और 2000 के दशकों में मैन्युफैक्चरिंग को नजरअंदाज किया। हमारे पास ऐसी सरकारें कब थीं जिन्होंने मैन्युफैक्चरिंग पर वास्तव में बड़ा जोर दिया? फिर भी, आज लोग कहते हैं कि हमें इसका समाधान खोजने की ज़रूरत है, जैसे कि यह काम तुरंत हो सकता है। कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि हम अक्षम हैं और हमें इसका प्रयास भी नहीं करना चाहिए। खुद से पूछिए, क्या आप वास्तव में मैन्युफैक्चरिंग के बिना एक प्रमुख शक्ति बन सकते हैं?’

विदेश मंत्री ने कहा, “प्रमुख शक्तियों को टेक्नोलॉजी की जरूरत होती है और कोई भी मैन्युफैक्चरिंग के बिना टेक्नोलॉजी विकसित नहीं कर सकता। इसलिए, आपको मानव संसाधन, बुनियादी ढांचा बनाना होगा, नीतियां बनानी होंगी क्योंकि जीवन उतना खटाखट नहीं चलता, यहां कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।”

–आईएएनएस

एमके/

E-Magazine