बांग्लादेश का राष्ट्रीय शोक दिवस : एक दर्दनाक इतिहास

बांग्लादेश का राष्ट्रीय शोक दिवस : एक दर्दनाक इतिहास

नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। बांग्लादेश में हर साल 15 अगस्त को ‘राष्ट्रीय शोक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन बांग्लादेश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या की याद दिलाता है, जो 1975 में एक सैनिक क्रांति के दौरान हुई थी।

दरअसल, आज से 49 साल पहले, साल 1975 में 15 अगस्त के दिन बांग्लादेश में एक सैनिक क्रांति हुई, जिसने देश के इतिहास को बदल दिया। इस दिन बांग्लादेश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या कर दी गई। बंगबंधु के नाम से प्रसिद्ध मुजीबुर्रहमान ने 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था।

मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में बांग्लादेश ने स्वतंत्रता प्राप्त की और उन्हें देश का पहला राष्ट्रपति बनाया गया। लेकिन, 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश में एक सैनिक क्रांति हुई, जिसमें मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी गई। इस क्रांति के बाद, खोंडेकर मुश्ताक अहमद को नया राष्ट्रपति बनाया गया। उनके नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ। इस घटना ने बांग्लादेश के इतिहास में एक काला अध्याय जोड़ दिया।

मुजीबुर्रहमान की हत्या ने देश में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा दिया और बांग्लादेश को एक लंबे समय तक राजनीतिक संघर्ष की ओर धकेल दिया। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था भी खराब हो गई। देश में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ गई, आर्थिक विकास रुक गया। लोगों में आक्रोश और निराशा बढ़ गई। देश में कई हिंसक घटनाएं हुईं। कई देशों ने बांग्लादेश के साथ अपने राजनयिक संबंध तोड़ लिए। देश को आर्थिक सहायता भी बंद कर दी।

इस घटना के बाद, बांग्लादेश में हर साल 15 अगस्त को ‘राष्ट्रीय शोक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बांग्लादेशी लोग मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार के सदस्यों को श्रद्धांजलि देते हैं और देश के लिए उनके योगदान को याद करते हैं। यह दिन बांग्लादेश के लोगों के लिए एक दर्दनाक इतिहास की याद दिलाता है, लेकिन साथ ही साथ देश के लिए उनके संघर्ष और बलिदान को भी याद करता है।

–आईएएनएस

पीएसके/एबीएम

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