तमिलनाडु में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं को लेकर 14 नवंबर को एआईएडीएमके का प्रदर्शन


चेन्नई, 12 नवंबर (आईएएनएस)। विपक्षी दल एआईएडीएमके ने 14 नवंबर को तमिलनाडु के तिंडीवनम में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। पार्टी ने डीएमके सरकार पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों में ‘बढ़ोतरी’, नशीले पदार्थों के प्रसार और राज्य में कानून-व्यवस्था की समग्र ‘बिगड़ती’ स्थिति को नियंत्रित करने में विफल रहने का आरोप लगाया है।

पार्टी महासचिव और विपक्ष के नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) ने एक बयान में कहा कि यह प्रदर्शन सुबह 10 बजे गांधी प्रतिमा के पास होगा और इसका नेतृत्व पूर्व मंत्री और विल्लुपुरम जिला सचिव सी.वी. षणमुगम करेंगे।

यह विरोध प्रदर्शन विरुधुनगर में दो मंदिर रक्षकों की ‘नृशंस हत्या’ के तुरंत बाद हो रहा है, जिसे एआईएडीएमके ने डीएमके के शासन में ‘प्रशासनिक पतन का प्रतीक’ करार दिया है।

ईपीएस ने कहा कि महिलाओं पर यौन हिंसा और हमलों में ‘खतरनाक वृद्धि’ के कारण यह विरोध प्रदर्शन जरूरी हो गया था। उन्होंने तिंडीवनम में एक पुलिस कांस्टेबल से जुड़ी मारपीट की शिकायत और कोयंबटूर में एक कॉलेज छात्रा के साथ ‘सामूहिक बलात्कार’ जैसे हालिया मामलों का हवाला दिया।

उन्होंने कहा कि इन घटनाओं ने राज्य भर की महिलाओं और परिवारों में व्यापक भय पैदा कर दिया है।

पलानीस्वामी ने बयान में कहा, “प्रदेश में ऐसे अपराध लगातार हो रहे हैं, अपराधी बेखौफ होकर काम कर रहे हैं। सरकार की लापरवाही ने उनके हौसले बढ़ा दिए हैं।”

अन्नाद्रमुक प्रमुख ने आगे आरोप लगाया कि द्रमुक के कार्यकाल के दौरान नाबालिगों और युवाओं में मादक पदार्थों की तस्करी और मादक द्रव्यों के सेवन में तेजी से वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा कि विधानसभा की बहसों, सार्वजनिक बयानों और मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से बार-बार चेतावनियों के बावजूद सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए हैं।

ईपीएस ने द्रमुक शासन पर प्रशासनिक अक्षमता और जनता की कठिनाइयों के प्रति असंवेदनशीलता का आरोप लगाया और कहा कि आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों और करों में बढ़ोतरी ने आम लोगों को संकट में डाल दिया है।

उन्होंने तमिलनाडु की वर्तमान स्थिति को शासन का एक ‘काला अध्याय’ बताया। साथ ही उन्होंने अन्नाद्रमुक कार्यकर्ताओं, स्थानीय निकाय प्रतिनिधियों और जनता, विशेषकर महिलाओं से 14 नवंबर के विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में भाग लेने और ‘न्याय, सुरक्षा और जवाबदेही के लिए सामूहिक आवाज उठाने’ का आग्रह किया।

–आईएएनएस

एससीएच


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