सुप्रीम कोर्ट हैरान! दिल्ली में हर दिन तीन हजार टन कचरा नहीं होता साफ

सुप्रीम कोर्ट हैरान! दिल्ली में हर दिन तीन हजार टन कचरा नहीं होता साफ

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर स्तब्धता जताई कि दिल्ली में हर दिन 11 हजार टन ठोस शहरी अपशिष्ट पैदा होता है जिसमें से तीन हजार टन कचरे को साफ नहीं किया जाता है। जस्टिस अभय एस.ओक और उज्जवल भुयन की खंडपीठ ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की रिपोर्ट पर कहा कि यह बेहद गंभीर मुद्दा है।

उन्होंने कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन नियमों, 2016 को लागू हुए आठ साल हो चुके हैं लेकिन दिल्ली में इसका कहीं कोई पालन नहीं हो रहा है। यह बहुत स्तब्ध करने वाली बात है। सीएक्यूएम रिपोर्ट के अनुसार औसतन हर दिन दिल्ली में 11 हजार टन कचरा होता है लेकिन केवल आठ हजार टन करते का ही शोधन हो पाता है। इससे साफ है कि राजधानी दिल्ली में हर दिन तीन हजार टन कचरे का निस्तारण नहीं हो पाता है और कचरे का पहाड़ दिन-ब-दिन बढ़ता जाता है।

खंडपीठ ने दिल्ली कंटोनमेंट बोर्ड को नोटिस जारी किया

खंडपीठ ने कहा कि इसलिए उसने एमसीडी, एनडीएमसी और दिल्ली कंटोनमेंट बोर्ड को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इस सबसे दस मई तक जवाब मांगते हुए कहा कि अगली सुनवाई से पहले इन तीनों नगर निकायों को 2016 के नियमों के पालन के संबंध में अधिकारियों की एक बैठक बुलानी होगी।

वायु प्रदूषण की खराब स्थिति पर नजर रखने को कहा

साथ ही केंद्रीय शहरी विकास विभाग को इस समस्या से निपटने के लिए एक योजना तैयार करनी होगी। सर्वोच्च अदालत ने याचिका की सुनवाई करते हुए संबंधित एजेंसियों से दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की खराब स्थिति पर भी नजर रखने को कहा है। खंडपीठ ने निर्माण और विध्वंस के कार्यों में होने वाले प्रदूषण पर भी नियंत्रिण रखने को कहा है। इसके अलावा, पराली जलाने को लेकर भी राज्यों को सख्ती से नियमों का पालन करने को कहा है।

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