जब चुनाव का मौसम आता है, तो मंचों और पोस्टरों पर वादे करने वालों और उज्जवल भविष्य की आशा रखने वालों में आपसी भरोसे की परीक्षा होती है। दुनिया के सबसे युवा लोकतंत्रों में से एक होने के बावजूद भारत की संसद में युवा सदस्यों की भागीदारी बहुत कम है। भारत में अप्रैल और मई 2024 के बीच आम चुनाव होने हैं। युवाओं को उम्मीद है कि इस बार सियासी दल युवाओं को ज्यादा मौके देंगे।
चुनावी राजनीति में युवाओं की ज्यादा भागीदारी और यूथ कमीशन के गठन की मांग समेत युवाओं के कई मुद्दे हैं। युवा राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभाना चाहते हैं। राष्ट्रीय युवा संसद में पहुंचे युवाओं ने अपनी अपनी उम्मीदें जाहिर की।
जम्मू कश्मीर से आईं भाग लेने आई आनंदिता जामवाल ने कहा कि देखिए मेरा मानना है कि जब युवा सशक्त है, जिसके अंदर वो कैपेबिलिटी है, खासकर ग्रासरूट लेवल पॉलिटिक्स, जो जमीनी स्तर की राजनीति जो हम कहते हैं, हम ये नहीं कहते कि डायरेक्ट एमपी की टिकट एक 25 साल के युवा को दे दो, लेकिन जब लोकल कॉर्पोरेशन या पंचायत की बात आती है तब कम उम्र के लोगों को हम टिकट देंगे, उनको एक मौका देंगे, गांव संभालने का या कोई एक म्यूनिसिपल वॉर्ड संभालने का, तो हम अपनी एक पीढ़ी को सुधार रहे हैं।
वहीं राजस्थान से राष्ट्रीय युवा संसद में हिस्सा लेने आई कनिष्का शर्मा ने कहा कि मेरा मानना ये है कि युवा किसी भी चीज को, किसी भी समस्या को, किसी भी आपदा को, किसी कठिनाई को, किसी संकट को अवसर में परिवर्तित करने की क्षमता रखते हैं, तो यदि हमारे पास कोई भी प्रॉब्लम आ रही है तो हमें यूथ का पार्टिसिपेशन बढ़ाना चाहिए उन चीजों में, ताकि हमें नए आइडियाज मिल सकें।
छत्तीसगढ़ की तूलिप शर्मा ने इस कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए कहा कि आगामी चुनावों में मुझे लगता है, एक युवा का नाते कि एक यूथ कमीशन का गठन होना बहुत आवश्यक है। यूथ मिनिस्ट्री तो है ही, लेकिन और भी जितने मुद्दे हैं युवाओं के, तो मेरा मानना है कि एक यूथ कमीशन का गठन होना चाहिए और युवाओं को एंपावर करने के लिए, उन्हें अपलिफ्ट करने के लिए और भी योजनाएं आनी चाहिए और बहुत जरूरी है कि लोकतंत्र में, डिसीजन मेकिंग प्रॉसेस में हम यूथ को भागीदारी दें।
बता दें कि कई युवाओं का ये भी मानना है कि आजादी से पहले से ही युवाओं ने सुधार आंदोलनों, सामाजिक आंदोलनों में भाग लेकर देशहित से जुड़े मुद्दों में सक्रिय भूमिका निभाई है। युवा अपनी राजनैतिक राय जाहिर करने के लिए ज्यादातर इंटरनेट और मास मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, बावजूद इसके उनकी भागीदारी ज्यादा असर नहीं छोड़ पाई है। कई लोगों का मानना है कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, राजनीति का अपराधीकरण, जाति की राजनीति, जवाबदेही की कमी और राजनीतिक व्यवस्था में लोगों की जरूरतों के प्रति उदासीनता की वजह से युवा राजनीति को करियर के तौर पर नहीं देखते हैं।
उत्तराखंड से इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंची नेहा कैंथर ने महिला सशक्तीकरण पर बोलते हुए कहा कि मैं देख रही हूं कि महिलाएं पुरुषों की तरह समान रूप से भाग ले रही हैं, और आज संसद भवन में भी हम देख सकते हैं, इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं हैं, इसलिए महिला सशक्तीकरण एक फैक्टर है जो भारत को बदल सकता है, जैसे कि विकसित भारत, हम विकसित भारत बन सकते हैं, हम भारत को विकसित कर सकते हैं जब महिलाएं ज्यादा से ज्याद हिस्सा लेती हैं।
सिक्किम से इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे सूरज भुजेल ने कहा कि बहुत सारे लीडर हैं, जो आ रहे हैं आगे, अपनी लीडरशिप के मुताबिक भारत को एक ऊंची उड़ान भर रहे हैं एंड एक ऊंचे स्तर पर पहुंचा रहे हैं, तो हम सब युवा चाहते हैं कि हमारे यहां से युवा नेता बहुत सारे आए और उन युवाओं के नेतृत्व में बहुत सारी चीजें हों।