नई दिल्ली, 25 जनवरी (आईएएनएस)। साइबर सुरक्षा शोधकर्ताओं ने गुरुवार को कहा कि 75 करोड़ भारतीयों से संबंधित संवेदनशील विवरण वाले एक मोबाइल नेटवर्क डेटाबेस डार्क वेब पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
साइबर सुरक्षा फर्म क्लाउडसेक के शोधकर्ताओं ने पाया कि साइबो क्रू के सहयोगी साइबोडिविल और यूनिट8200 ने हाल ही में बिक्री के लिए एक विशाल “भारतीय मोबाइल नेटवर्क उपभोक्ता डेटाबेस” का विज्ञापन किया है।
इसमें नाम, मोबाइल नंबर, पता और आधार विवरण जैसी महत्वपूर्ण जानकारी शामिल है।
इस डेटासेट का विशाल आकार, कुल 1.8 टेराबाइट्स सुरक्षा की दृष्टि से एक खतरनाक स्थिति प्रस्तुत करता है।
थ्रेट एक्टर के अनुसार, इस व्यापक डेटासेट में कथित तौर पर भारतीय आबादी का 85 प्रतिशत हिस्सा शामिल है, जिससे यह अपनी तरह का सबसे बड़ा उल्लंघन बनाता है।
शोधकर्ताओं ने कहा, “बिक्री के लिए उपलब्ध डेटा को 600 जीबी तक संपीड़ित किया जाता है और 1.8 टीबी तक असम्पीडित किया जाता है, जिससे व्यक्तियों और संगठनों दोनों के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा होता है। थ्रेट एक्टर ने पूरे डेटासेट के लिए 3,000 डॉलर की मांग की है।”
क्लाउडसेक शोधकर्ताओं ने पाया कि रिसाव सभी प्रमुख दूरसंचार प्रदाताओं को प्रभावित करता है।
क्लाउडसेक के खतरा खुफिया और सुरक्षा अनुसंधानकर्ता स्पर्श कुलश्रेष्ठ ने कहा, “दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और सरकार को डेटा को सत्यापित करना चाहिए और खामियों की पहचान करनी चाहिए। यह उल्लंघन संगठनों और व्यक्तियों के लिए साइबर सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देने और सतर्क रहने की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करता है।”
व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी (पीआईआई) के लीक होने से व्यक्तियों और संगठनों दोनों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा होता है, जिससे संभावित रूप से वित्तीय नुकसान, पहचान की चोरी, प्रतिष्ठा की क्षति और साइबर हमलों की संभावना बढ़ जाती है।
साइबोक्रू समूह के सदस्यों ने पहले जुलाई 2023 में सरकारी लुकअप क्षमताओं सहित भारतीय फोन नंबर केवाईसी विवरण तक रियल टाइम पहुंच का दावा किया था।
साइबोक्रू समूह को ‘भारतीय मोबाइल नेटवर्क उपभोक्ता डेटाबेस’ के साथ-साथ 81.5 करोड़ आधार और पासपोर्ट रिकॉर्ड तक पहुंच का दावा करते हुए, भारतीय वाहन डेटाबेस तक एपीआई एक्सेस बेचते हुए भी देखा गया है।
–आईएएनएस
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