धनबाद, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। धनबाद जेल में 3 दिसंबर को गैंगवार में गैंगस्टर अमन सिंह की हत्या से आतंक का एक चैप्टर भले बंद हो गया हो, लेकिन इस वारदात के बाद राज्य का लॉ एंड ऑर्डर कठघरे में है और उसके इर्द-गिर्द ढेरों सवाल एक साथ सिर उठाकर खड़े हो गए हैं।
जेल में आखिर फायर आर्म्स कैसे पहुंचा? वहां लगे 172 सीसीटीवी कैमरे और चार मेटल डिटेक्टर आखिर कैसे धोखा खा गए? गैंगस्टर को गोली मारने की वारदात के पहले ऐसा क्या हुआ था कि जेल में पगली घंटी बजाई गई थी?
वारदात के 24 घंटे बाद भी पुलिस उस फायर आर्म्स को क्यों बरामद नहीं कर पाई है, जिससे अमन पर गोलियां बरसाई गई थी? हत्या के पीछे गैंगवार है या फिर कोई सियासी साजिश? जिला प्रशासन ने मात्र आठ दिन पहले जेल में रेड मारी थी, लेकिन तब फायर आर्म्स क्यों बरामद नहीं हुआ? सवालों का यह लंबा सिलसिला धनबाद कोयलांचल के गर्दो-गुबार में आसानी में गुम होने वाला नहीं है।
मारे गए गैंगस्टर का भले अमन नाम था, लेकिन वह पिछले दो साल से धनबाद कोयलांचल के अमन-चैन के लिए खतरा बना हुआ था। उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले के थाना राजे सुल्तानपुर में गांव कादीपुर का रहने वाला अमन सिंह का नाम धनबाद के लोगों ने पहली बार तब सुना था, जब 2017 में शहर के तत्कालीन डिप्टी मेयर और कांग्रेस लीडर नीरज सिंह और उनके चार सहयोगियों को व्यस्त सड़क पर गोलियों से भून डाला गया था।
इस हाईप्रोफाइल मर्डर की साजिश में नीरज सिंह के चचेरे भाई और झरिया इलाके के भाजपा विधायक संजीव सिंह का नाम सामने आया और तभी पुलिस ने खुलासा किया कि इसके लिए अमन सिंह सहित चार शूटरों को यूपी से बुलाया गया था। इस वारदात के चार साल बाद उसे 2021 में यूपी से गिरफ्तार कर धनबाद जेल लाया गया था।
जेल में आते ही अमन सिंह ने न सिर्फ अपनी धमक कायम कर ली, बल्कि चहारदीवारी के भीतर से पूरे धनबाद में आतंक की हुकूमत चलाने लगा। अमन सिंह धनबाद में पिछले दो साल से आतंक और खौफ का दूसरा नाम बना हुआ था। जेल से उसके आतंक की बादशाहत धनबाद कोयलांचल से लेकर रांची, जमशेदपुर, यूपी और गुजरात तक चलती थी। उसके गुर्गे धनबाद के व्यापारियों, डॉक्टरों और उद्यमियों से रंगदारी वसूलने लगे।
जिन्होंने अमन का हुक्म नहीं माना, उन पर गोलियां चली। तीन-चार हत्याओं में उसका नाम आया। उसके खिलाफ कुल 31 मामले दर्ज हैं। अमन से शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस जेल से उसके जुर्म की बादशाहत चल रही है, वहीं उसे गोलियों से छलनी कर दिया जाएगा।
अमन की हत्या में जेल के जिस बंदी की पहचान की गई है, उसका कोई खास आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उसका नाम सुंदर महतो बताया जा रहा है। वह बोकारो के तेलो गांव का निवासी और उसे बीते 23 नवंबर को बाइक चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। पुलिस जांच कर रही है कि सुंदर महतो की अमन से कोई निजी अदावत थी या फिर उसने किसी के इशारे पर इस वारदात को अंजाम दिया।
इस बीच गैंगस्टर अमन सिंह के गैंग के एक पुराने गुर्गे धनबाद के हीरापुर जेसी मल्लिक रोड के रहने वाले आशीष रंजन उर्फ छोटू ने हत्या की जिम्मेदारी ली है। बकायदा एक ऑडियो जारी कर कहा है कि इसकी तैयारी बहुत दिनों से कर रहा था। ऑडियो में वह दावा कर रहा है कि अमन को तो कोर्ट परिसर में पेशी के दौरान मारने की तैयारी थी, मगर उसे भनक लग गई थी।
छोटू ने यह कहा है कि वह अमन को बड़ा भाई मानता था, मगर कुछ पैसे के लिए उसने उसकी हत्या करने की ठान ली थी। इसलिए मरवा दिया। जेल में उसने ही हथियार पहुंचाया है। जिस आदमी ने अमन की हत्या की है, वह उसका ही नाम लेगा। धनबाद के व्यपारियों से कोई मतलब नहीं है, मगर कोयले के व्यापार में वह रहेगा। पुलिस इस ऑडियो क्लिप की सत्यता भी जांच रही है। आशीष रंजन उर्फ छोटू कई आपराधिक मामलों में वांछित है और फिलहाल पुलिस की पकड़ से दूर है।
दो महीने पहले वासेपुर के गैंगस्टर प्रिंस खान और अमन सिंह के गुर्गे जेल में आपस में भिड़ गये थे। छह माह पहले संजीव सिंह एवं अमन सिंह ने प्रिंस खान के गुर्गों को जेल के अंदर ही जमकर पिटवाया था। सवाल यह भी है कि क्या प्रिंस गैंग के साथ टकराव में अमन मारा गया?
अमन की हत्या में पुलिस सियासी साजिश के बिंदु पर भी जांच कर सकती है, क्योंकि वह एक हाईप्रोफाइल पॉलिटिकल मर्डर केस में ही धनबाद जेल में बंद था। उसने न्यायालय में पेशी के दौरान कई बार अपनी हत्या की आशंका जताई थी।
इस बीच सोमवार सुबह यूपी से धनबाद पहुंचे अमन सिंह के बड़े भाई अजय सिंह और पिता उदय भवन सिंह ने जेल प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया। अमन सिंह के बड़े भाई अजय सिंह ने कहा कि उसकी हत्या की लगातार साजिश चल रही थी। हम लोगों को भी इसकी जानकारी थी। इसलिए कोर्ट से सुरक्षा की मांग की गई थी। अमन सिंह की पत्नी बेबी देवी ने भी अपने पति की हत्या की आशंका जाहिर की थी। लेकिन प्रशासन ने कभी भी इस पर ध्यान नहीं दिया।
–आईएएनएस
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