सुप्रीम कोर्ट ने दी भाजपा प्रवक्ता प्रशांत कुमार उमराव को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत

सुप्रीम कोर्ट ने दी भाजपा प्रवक्ता प्रशांत कुमार उमराव को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रशांत कुमार उमराव को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया। उन पर तमिलनाडु पुलिस ने बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमले के बारे में कथित तौर पर गलत सूचना फैलाने का मामला दर्ज किया था।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता अमित आनंद तिवारी की इस दलील पर ध्यान दिया कि उमराव के खिलाफ केवल एक प्राथमिकी दर्ज की गई है, जहां शीघ्र ही आरोप पत्र दायर किया जाएगा। क्योंकि पुलिस की जांच पूरी हो चुकी है.

मामले को देखते हुए, याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका (एफआईआर को क्लब करने की मांग) टिक नहीं पाती है,” पीठ ने आदेश दिया कि पहले दी गई अंतरिम सुरक्षा को पूर्ण बना दिया गया है।

इससे पहले इस साल 6 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा था कि मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा उमराव को दी गई अग्रिम जमानत उनके विवादित ट्वीट, कथित तौर पर गलत सूचना प्रसारित करने के संबंध में तमिलनाडु में दर्ज अन्य एफआईआर पर लागू होगी।

इसने उच्च न्यायालय द्वारा उमराव को 15 दिनों की अवधि के लिए और उसके बाद, जब भी पूछताछ के लिए आवश्यक हो, रोजाना सुबह 10.30 बजे और शाम 5.30 बजे पुलिस के सामने रिपोर्ट करने की शर्त को भी संशोधित किया था।।

शीर्ष अदालत ने पहले के आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता को 10 अप्रैल, 2023 को सुबह 10 बजे जांच अधिकारी के सामने पेश होना होगा और उसके बाद जब भी जांच अधिकारी द्वारा ऐसा करने के लिए बुलाया जाएगा, उपस्थित होना होगा।”

उमराव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उन्हें कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं के इशारे पर परेशान किया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने केवल उन खबरों को री-ट्वीट किया था, जो पहले से ही कुछ मीडिया संगठनों द्वारा साझा की गई थीं।

उमराव के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, इसमें दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना, दुश्मनी और नफरत को बढ़ावा देना, शांति भंग करना और सार्वजनिक उपद्रव के लिए उकसाना शामिल था।

उनकी याचिका में एक ही ट्वीट के सिलसिले में उनके खिलाफ विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने की मांग की गई है। उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए अपनी याचिका स्वीकार करते समय मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्त को भी चुनौती दी।

–आईएएनएस

सीबीटी

E-Magazine