गजलीटांड़ कोयला खदान में 64 श्रमिकों की जलसमाधि के 28 साल बाद भी फाइलों में कैद है जांच रिपोर्ट

गजलीटांड़ कोयला खदान में 64 श्रमिकों की जलसमाधि के 28 साल बाद भी फाइलों में कैद है जांच रिपोर्ट

धनबाद, 26 सितंबर (आईएएनएस)। आज 26 सितंबर है और इस तारीख ने 28 साल पहले धनबाद कोयलांचल को ऐसा जख्म दिया था, जिसकी टीस यहां के बाशिंदे आज भी महसूस करते हैं। साल 1995 की यही वो तारीख थी, जब यहां की गजलीटांड कोयला खदान में भारी बारिश के बीच पानी घुस जाने से एक साथ 64 कोयला श्रमिकों की जल समाधि हो गई थी।

गजलीटांड के अलावा आस-पास की खदानों में भी उस रोज कुल 79 कामगार काल कवलित हो गए थे। इस भयावह हादसे की 28वीं बरसी पर गजलीटांड में निर्मित शहीद स्तंभ पर आज जुटे सैकड़ों लोगों ने फूल चढ़ाये। जिन लोगों ने हादसे में अपनों को खोया था, उनकी आंखें एक बार फिर नम हो उठी। बीते 28 सालों में गजलीटांड सहित पूरे धनबाद में बहुत कुछ बदल गया, लेकिन इस हादसे की जांच का नतीजा आज तक सामने नहीं आया। न तो हादसे के कारणों का आधिकारिक तौर पर खुलासा हुआ और न ही किसी की जिम्मेदारी तय हुई।

इसकी जांच के लिए तत्कालीन सरकार ने जस्टिस एस मुखर्जी की अध्यक्षता में मुखर्जी कमीशन और कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का गठन किया था। लंबे समय तक जांच चली। रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी गई, लेकिन इसका निष्कर्ष आज तक सामने नहीं आया। हादसे के कारण और कथित जिम्मेदारों के नाम भी फाइलों में दफन होकर रह गए।

वह 25 सितंबर की रात थी। मूसलाधार बारिश हो रही थी। कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) की गजलीटांड कोलियरी की छह नंबर अंडरग्राउंड माइंस के 10 नंबर सिम में दूसरी पाली की ड्यूटी में कुल 92 श्रमिक कोयला खनन में जुटे थे। दूसरी पाली की ड्यूटी शाम चार बजे शुरू हुई थी, जो रात 12 बजे खत्म होनी थी। इन्क्वायरी कमीशन के सामने प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा दर्ज कराए गए बयान के मुताबिक रात 9 बजकर 15 मिनट पर अचानक बिजली चली गई। बिजली नहीं होने की वजह से खनन रुक गया तो श्रमिकों को धीरे-धीरे बाहर निकालने का काम शुरू हुआ। कुल 28 श्रमिकों को बाहर निकाला गया था। इधर बारिश और तेज हो गई थी। मौसम विभाग ने उस रोज 331 मिमी बारिश दर्ज की थी।

कोलियरी के पास से गुजरने वाली कतरी नदी की धाराएं उफान पर थीं। अचानक कतरी नदी का तटबंध टूट गया और और पानी की तेज धार खदान के भीतर इस कदर दाखिल हुई कि खदान में रह गए 64 कामगारों में से किसी को बाहर आने का मौका नहीं मिला। इन श्रमिकों के घरवाले उनके लौटने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन इसके बदले उन तक मनहूस खबर पहुंची। 26 सितंबर की सुबह होते-होते पूरे इलाके में खबर फैली। हजारों लोग इकट्ठा हो गए। धनबाद की अन्य कोलियरियां भी उस रोज महफूज नहीं थीं।

चैतुडीह खदान में चार, साउथ गोविंदपुर में तीन, बेरा कोलियरी में तीन, निचितपुर कोलियरी में दो, केशलपुर कोलियरी में एक कर्मी दफन हो गए थे। पूरे कोयलांचल में हर तरफ कोहराम मचा था। इतनी बड़ी घटना की सूचना पर तत्कालीन कोयला मंत्री जगदीश टाइटलर, पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा, तत्कालीन सीएमडी जीसी मृग सहित कई जनप्रतिनिधि पहुंचे थे। हादसे की खबर पटना-दिल्ली से लेकर पूरे देश में फैली। अपनों को खोने वालों की चीत्कार का इनमें से किसी के पास कोई जवाब नहीं था।

धनबाद के वरिष्ठ पत्रकार रामजी यादव बताते हैं कि उस रात गजलीटांड कोलियरी के अलावा, चैतूडीह, कतरास प्रोजेक्ट, सलेमपुर कोयला खानों में 3000 मिलियन गैलन पानी भर चुका था। भूमिगत खानें जलाशय में तब्दील हो चुकी थीं। खानों से पानी निकालने के लिए उस वक्त भी पर्याप्त साधन बीसीसीएल के पास नहीं थे। चीन और यूक्रेन से मदद मांगी गई। कई महीनों तक लगातार मोटर चलाने के बाद पानी बाहर पूरी तरह नहीं निकाला जा सका। कई बार पानी के अंदर ही कोयले की खानों में आग लगने की घटना सामने आई।

करीब 8 महीने के बाद मई 1996 में गजलीटांड़ से पांच कंकाल बरामद किए गए, जिनके सिर पर अंडरग्राउंड खदान में जाने के पहले पहने जाने वाले हेलमेट लगे हुए थे। जल समाधि लेने वाले कर्मियों के आश्रितों को तत्काल नियोजन, कंपनी की वित्तीय सहायता, केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सहायता, आपदा राहत कोष से आर्थिक मदद जरूर दी गई, लेकिन न तो शहीद श्रमिकों के शव बाहर निकाले जा सके और न ही इस हादसे की जिम्मेदारी तय हो सकी।

घटना के बाद इसकी जांच के लिए जस्टिस एस मुखर्जी की अध्यक्षता में मुखर्जी कमीशन/कोर्ट ऑफ इंक्वाइरी का गठन किया गया था। कमेटी में एसेसर (जस्टिस को सलाह देने वाला व्यक्ति) के तौर पर इंटक के तत्कालीन महामंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह तथा भारतीय खनिज विद्यापीठ के प्रोफेसर एस मजूमदार को शामिल किया गया था। 26 जून 1998 को आयोग ने अपनी रिपोर्ट तो सौंपी, लेकिन इस पर सरकार ने आगे कोई कार्रवाई नहीं की।

बताया जाता है कि जस्टिस मुखर्जी ने अपनी रिपोर्ट में इस दुर्घटना के लिए खान सुरक्षा महानिदेशालय और बीसीसीएल के बड़े अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की थी। लेकिन चूंकि सरकार ने रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए जिम्मेदारों के नाम आज तक फाइल के बाहर नहीं आ पाए।

–आईएएनएस

एसएनसी

E-Magazine