इजराइली वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल से बिल्कुल इंसानी भ्रूण जैसा मॉडल तैयार किया

इजराइली वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल से बिल्कुल इंसानी भ्रूण जैसा मॉडल तैयार किया

यरुशलम, 7 सितंबर (आईएएनएस)। इजरायली वैज्ञानिकों की एक टीम ने स्टेम सेल का उपयोग करके एक संपूर्ण मानव भ्रूण मॉडल बनाया है जो वास्तविक भ्रूण जैसा ही है, लेकिन इसमें शुक्राणु या अंडाणु नहीं हैं।

इज़राइल के रेहोवोट में वीज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की टीम के अनुसार, मानव जैसा मॉडल शुरुआती महीने के रहस्यों को उजागर करेगा जो वैज्ञानिकों के लिए “अभी भी काफी हद तक एक ब्लैक बॉक्स” है।

प्रोफ़ेसर जैकब हन्ना की अध्यक्षता वाली टीम प्रयोगशाला में संवर्धन के बाद 14 दिन तक गर्भ के बाहर मॉडल विकसित करने में कामयाब रही।

पिछले अध्ययनों में मानव स्टेम सेल से प्राप्त सेलुलर समुच्चय को वास्तव में सटीक मानव भ्रूण मॉडल नहीं माना जा सकता था, क्योंकि उनमें प्रत्यारोपण के बाद के भ्रूण के लगभग सभी परिभाषित लक्षणों का अभाव था।

नेचर जर्नल में रिपोर्ट किये गये नए सिंथेटिक भ्रूण मॉडल में इस चरण की सभी संरचनाएं और कंपार्टमेंट थे, जिनमें प्लेसेंटा, योक सैक, क्रायोनिक सैक और अन्य बाहरी ऊतक शामिल हैं जो मॉडल की गतिशील और पर्याप्त वृद्धि सुनिश्चित करते हैं।

प्रत्येक कम्पार्टमेंट और सहायक संरचना न केवल मौजूद थी, बल्कि सही जगह, आकार और आकृति में भी थी। यहां तक कि गर्भावस्था परीक्षण में उपयोग किए जाने वाले हार्मोन बनाने वाली कोशिकाएं भी सक्रिय थीं। जब वैज्ञानिकों ने इन कोशिकाओं से स्राव को एक आम तौर पर मेडिकल स्‍टोर में मिलने वाले गर्भावस्था परीक्षण किट पर डाला तो पॉजिटिव रिजल्‍ट दिखा।

हन्ना ने कहा, “मुख्‍य घटनाएं पहले महीने में होती हैं, गर्भावस्था के शेष आठ महीनों में मुख्य रूप से तेज विकास होता है।

“लेकिन वह पहला महीना अभी भी काफी हद तक एक ब्लैक बॉक्स है। हमारा स्टेम सेल-व्युत्पन्न मानव भ्रूण मॉडल इस बॉक्स में झाँकने का एक नैतिक और सुलभ तरीका प्रदान करता है। यह एक वास्तविक मानव भ्रूण के विकास का बारीकी से नकल करता है, विशेष रूप से इसके उत्कृष्ट रूप के उद्भव के आर्किटेक्‍चर का।”

प्रारंभिक भ्रूण के बारे में बहुत कम जानकारी है क्योंकि नैतिक और तकनीकी दोनों कारणों से इसका अध्ययन करना बहुत कठिन है, फिर भी इसके प्रारंभिक चरण इसके भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।

इन चरणों के दौरान, कोशिकाओं का समूह जो अपने अस्तित्व के सातवें दिन गर्भ में खुद को प्रत्यारोपित करता है, तीन से चार सप्ताह के भीतर, एक अच्छी तरह से संरचित भ्रूण बन जाता है जिसमें पहले से ही शरीर के सभी अंग शामिल होते हैं।

हन्ना ने कहा, “गर्भावस्था की कई विफलताएं पहले कुछ सप्‍ताहों में होती हैं, अक्सर इससे पहले कि महिला को पता भी चले कि वह गर्भवती है।”

“कई जन्म-दोष भी इसी समय में उत्पन्न होते हैं, भले ही उन्हें बहुत बाद में खोजा जाता है। हमारे मॉडल का उपयोग जैव रासायनिक और यांत्रिक संकेतों को प्रकट करने के लिए किया जा सकता है जो इस प्रारंभिक चरण में उचित विकास सुनिश्चित करते हैं। साथ ही उन कारकों का भी पता लगाया जा सकता है जिससे विकास गलत हो सकता है।”

महत्वपूर्ण रूप से, शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि प्रोटोकॉल के तीसरे दिन (प्राकृतिक भ्रूण विकास में 10 वें दिन के अनुरूप) भ्रूण को प्लेसेंटा बनाने वाली कोशिकाओं द्वारा सही तरीके से कवर नहीं किया जाता है, तो इसकी आंतरिक संरचनाएं, जैसे कि योक सैक ठीक से विकासित नहीं हो पाती हैं।

हन्‍ना ने कहा, “एक भ्रूण स्थिर नहीं होता है। इसमें सही स्थिति में सही कोशिकाएं होनी चाहिए और इसे प्रगति करने में सक्षम होना चाहिए – यह होने और बनने के बारे में है।

“हमारे संपूर्ण भ्रूण मॉडल शोधकर्ताओं को सबसे बुनियादी सवालों का समाधान करने में मदद करेंगे कि इसके उचित विकास को कौन से कारक निर्धारित करते हैं।”

–आईएएनएस

एकेजे

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