विटालिक ब्यूटिरिन ने 'घेवर' और 'मसाला डोसा' के साथ मनाया क्रिप्टोकरेंसी का आठवां जन्मदिन

विटालिक ब्यूटिरिन ने 'घेवर' और 'मसाला डोसा' के साथ मनाया क्रिप्टोकरेंसी का आठवां जन्मदिन

नई दिल्ली, 31 जुलाई (आईएएनएस)। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी एथेरियम के रूस स्थित सह-संस्थापक विटालिक ब्यूटिरिन ने बेंगलुरु में ‘मसाला डोसा’ और ‘घेवर’ केक के साथ क्रिप्टोकरेंसी का आठवां जन्मदिन मनाया है।

उन्हें एथेरियम-आधारित ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म पॉलीगॉन के सीओओ और क्रिप्टोरिलीफ के संस्थापक संदीप नेलवाल के साथ जन्मदिन मनाते देखा गया।

नेलवाल ने घेवर और मसाला डोसा का स्वाद लेते ब्यूटिरिन की तस्वीरों के साथ ट्वीट किया, “बेंगलुरु में केक के रूप में भारतीय ‘घेवर’ के साथ विटालिक ब्यूटिरिन के साथ एथेरियम का आठवां जन्मदिन मना रहा हूं। जन्मदिन मुबारक हो, एथेरियम!”

उन्होंने कहा, “इसके अलावा विटालिक को थोड़ा भारत दर्शन भी मिल रहा है।”

घेवर एक राजस्थानी मिठाई है जो आटा, घी और दूध से बनाई जाती है, जिसे चीनी की चाशनी में भिगोया जाता है, जबकि मसाला डोसा एक दक्षिण-भारतीय व्यंजन है।

30 जुलाई 2015 को स्थापित एथेरियम बिटकॉइन दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बन गया है।

कई उपयोगकर्ताओं ने क्रिप्टो फर्म को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी दीं।

एक यूजर ने कमेंट किया,”एथेरियम को आठवां जन्मदिन मुबारक हो! जैसे एथेरियम के संस्थापक ने भारत की शोभा बढ़ाई है, वैसे ही एथेरियम ब्लॉकचेन ने पूरे वेब3 समुदाय पर अपनी कृपा बढ़ाई है।”

एक अन्य उपयोगकर्ता ने कहा, “आशा है कि यह बैठक फलदायी होगी और उम्‍मीद है कि आप लोगों ने सार्वजनिक वस्तुओं और ब्लॉकचेन के माध्यम से प्रभाव पैदा करने के बारे में अधिक चर्चा की होगी। एथेरियम को 8वें जन्मदिन की शुभकामनाएं।”

इसके अलावा, ब्यूटिरिन का भारत के साथ संबंध व्यंजनों से कहीं अधिक है, क्योंकि प्रोग्रामर ने 2021 में भारत कोविड-क्रिप्टो रिलीफ फंड में लगभग 1.14 अरब डॉलर मूल्य के 500 सिक्के और 50 खरब शीबा (डॉगकॉइन की तरह एक मीम कॉइन) सिक्के का एक महान दान दिया था।

2011 में बिटकॉइन मैगजीन के सह-संस्थापक, ब्यूटिरिन अपनी शुरुआत में ही क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ गए थे।

2013 में उन्होंने अन्य देशों के डेवलपर्स से मुलाकात की, जिन्होंने कोड के प्रति उनके उत्साह को साझा किया।

वह बाद में टोरंटो लौट आए और एथेरियम का प्रस्ताव करते हुए एक श्वेत पत्र प्रकाशित किया।

2014 में थिएल फ़ेलोशिप से 1,00,000 डॉलर का अनुदान मिलने के बाद उन्होंने विश्‍वविद्यालय छोड़ दिया। वे एथेरियम पर पूर्णकालिक काम करने चले गए। एक एथेरियम की कीमत इस समय लगभग 1.53 लाख रुपये है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसजीके

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