वैश्विक पटल पर चमकने के लिए सरकार की ओर निहार रही तीरंदाजी में पदकधारी अदिति, मां ने सरकार से लगाई गुहार

वैश्विक पटल पर चमकने के लिए सरकार की ओर निहार रही तीरंदाजी में पदकधारी अदिति, मां ने सरकार से लगाई गुहार

जमशेदपुर, 9 जनवरी (आईएएनएस)। कहावत है कि अगर जज्बा सच्चा हो तो आसमां में भी छेद हो जाता है। यह कहावत झारखंड के नामदा बस्ती की रहने वाली 18 वर्षीय तीरंदाज राज अदिति पर एक दम फिट बैठती है। अदिति ने तीरंदाजी में अपने हुनर के दम पर जूनियर प्रतिस्पर्धा में झारखंड को 13 साल बाद व्यक्तिगत स्पर्धा में पदक दिलाया। वह लगातार तीन बार से झारखंड में नंबर एक रहते हुए सीनियर नेशनल टीम का हिस्सा हैं। इसी क्रम में कुछ दिनों में नेशनल गेम्स में हिस्सा लेंगी। लेकिन खराब आर्थिक स्थिति की वजह से अदिति के माता-पिता का धीरज अब जवाब देने लगा है। उनके माता अपनी बेटी को ऊंचाइयों की बुलंदी पर पहुंचाने के लिए सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिलने से उनकी स्थिति खराब है। वह अदिति के लिए तीरंदाजी के धनुष-बाण और तमाम साजो सामन खरीद में सक्षम नहीं हैं।

अदिति ने बताया कि आज से कई साल पहले जब उन्होंने अपने लिए पहला धनुष खरीदा थो, तो वह धनुष डेढ़ लाख रुपए का आया था। उस समय उनके पिता ने जैसे-तैसे नौकरी के पैसे से इसे खरीद दिया था। लेकिन, जब लॉकडाउन में उनका धनुष टूट गया, तो उनके पिता की नौकरी भी जा चुकी थी। इसलिए धनुष खरीदने के लिए उनके पिता सूर्यमणि शर्मा ने 2021 में पहली बार 1 लाख 60 हजार रुपये का बैंक लोन लिया था, ताकि उनको उन्नत तीर और धनुष मिल सके।

अदिति की मां ने बताया कि धनुष खरीदने के अलावा बाण खरीदने के लिए भी कई बार हमने लोन लिया है। यह लोन हम अभी तक चुका नहीं पाए हैं। हम सरकार की ओर आर्थिक सहायता के लिए टकटकी लगाए देख रहे हैं। सरकार अगर थोड़ा मदद कर देगी, तो हमारी बेटी की सफलता सातवें आसमान पर चली जाएगी।

अदिति की मां ने हरियाणा के सोनीपत में हुए एक प्रतिस्पर्धा का किस्सा सुनाते हुए बताया कि खराब बाणों का इस्तेमाल करने की वजह से उनकी बेटी का एक अंक काट लिया गया था। जिसकी वजह से वह अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में क्वालीफाई करने से चूक गई।

अदिति का परिवार उनकी बेटी का करियर बचाने और दुनिया में एक सितारे को चमकने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर टकटकी लगाए देख रहा है।

अदिति की मां ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “मेरी तीन बेटियां है। इनमें अदिति सबसे छोटी है। अदिति बहुत अच्छा तीरंदाजी करती है। हम पूरी जी जान लगाकर अदिति को खिला रहे हैं। हमें आर्थिक परेशानियों की वजह से उसकी किट खरीदने में बहुत परेशानी होती है। कुछ दिन पहले जूनियर खिलाड़ियों में वह अंतरराष्ट्रीय खेल खेली। उस समय उसको 75 हजार रुपये मिले थे। उसका किट बहुत महंगा है। कभी-कभी हम लोग इतना परेशान हो जाते हैं कि लगता है कि अदिति को तीरंदाजी छुड़वा ही दें। क्योंकि क‍िट बहुत महंगा है। हमने लोन लेकर उसे किट दिलवाई। उसका लोन चल ही रहा है। एक बार लोन लिए उसका धनुष लेने के लिए और कई बार तीर खरीदने के लिए लोन ले चुके हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “हम लोग उसका धनुष दो बार बदल चुके हैं। अभी भी उसके पास जितना सामान होना चाहिए, उतना सामान नहीं है। एक बार सोनीपत में एक मैच में खराब तीर के चलते उसका एक अंक कट गया। उसी कटे एक अंक के चलते मेरी बेटी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट तक नहीं पहुंच पाई। हम लोग उसका ढंग से सपोर्ट कर देंगे तो वह बहुत आगे जाएगी। हम सरकार से यही मांग करते हैं कि उसकी यदि थोड़ी सी आर्थिक मदद हो जाए तो बहुत अच्छी बात है।”

अदिति ने कहा, “मैं जब छठवी कक्षा में थी, तब मुझे मेरे एक अध्यापक ने तीरंदाजी के लिए चुना था। शुरुआत में मैं बस इसे खेल के तौर पर लेती थी। इसके बाद धीरे-धीरे मेरा ध्यान इस खेल में लगने लगा। इसके बाद मैं इसमें बहुत अच्छा करने लगी। उस समय मैं बहुत अच्छा करती थी। मेरे अध्यापक ने मुझे धनुष खरीदने के लिए बोला। उस समय जब मैं इस खेल के धनुष को खरीदने के लिए गई तो वह धनुष मुझे 1 लाख 50 हजार रुपये का पड़ा था। पापा ने मुझे वह खरीद के दे दिया। इसके बाद लॉकडाउन में वह धनुष टूट गया। उस समय पापा की नौकरी भी चली गई थी। इसके बाद पापा ने लोन लेकर मुझे धनुष दिलाया। पिछली तीन बार से मैं सीनियर नेशनल टीम का हिस्सा हूं।”

अदिति ने आगे कहा, “झारखंड में मैं नंबर एक पर हूं। पिछली बार जूनियर प्रतिस्पर्धा में मेरा व्यक्तिगत मेडल था। यह मेडल 13 साल बाद आया था। अभी मेरा नेशनल गेम्स के लिए सिलेक्शन हो गया है। नेशनल गेम्स को भारत का ओलंपिक कहा जाता है। इस बार झारखंड के लिए मैंने व्यक्तिगत तौर पर क्वालीफाई किया है। मैं इसके लिए बहुत खुश हूं। मुझे मेडल लाना है। मैं 7 से 8 घंटे तक मेहनत करती हूं।”

–आईएएनएस

पीएसएम/सीबीटी

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