बिहार ओलंपिक एसोसिएशन ने एक सदस्यीय जांच पैनल गठित करने पर आईओए प्रमुख को कानूनी नोटिस भेजा

बिहार ओलंपिक एसोसिएशन ने एक सदस्यीय जांच पैनल गठित करने पर आईओए प्रमुख को कानूनी नोटिस भेजा

नई दिल्ली, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। बिहार ओलंपिक संघ (बीओए) ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पी.टी. उषा को कानूनी नोटिस भेजा है और इसे “प्रशासनिक अतिरेक” करार दिया है। यह नोटिस बिहार सहित कुछ राज्यों के शासन ढांचे की जांच के लिए एकल सदस्यीय जांच आयोग की नियुक्ति को लेकर है।

आईओए अध्यक्ष ने कथित शिकायतों के आधार पर 2 दिसंबर को तेलंगाना, बिहार और राजस्थान के लिए अलग-अलग जांच आयोग बनाए थे। बिहार के लिए मुक्केबाजी महासंघ के सचिव हेमंत कुमार कलिता को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया, जिन्हें 10 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट आईओए अध्यक्ष को सौंपनी थी।

आयोग को शासन प्रक्रियाओं और चुनाव प्रक्रियाओं की समीक्षा करने का काम सौंपा गया था। बीओए ने इसे अपनी स्वायत्तता और निष्पक्षता के खिलाफ बताया। उनका कहना है कि आईओए ने बिना पारदर्शिता और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए यह कदम उठाया। बीओए को न शिकायतों की जानकारी दी गई, न ही अपना पक्ष रखने का मौका। बीओए का दावा है कि इस कदम से खेल प्रशासन की संघीय संरचना कमजोर होती है।

आईएएनएस द्वारा एक्सक्लूसिव पहुंच के तहत नोटिस में यह कहा गया है कि एकल सदस्यीय तथ्य-खोज आयोग को सौंपी गई उपरोक्त जिम्मेदारियों से संबंधित राज्य ओलंपिक संघों, विशेष रूप से मेरे क्लाइंट-बिहार ओलंपिक संघ (बीओए) की प्रतिष्ठा, अखंडता, पारदर्शिता और दक्षता कम हो जाती है। संबंधित राज्य संघों के पास पहले से ही स्थापित प्रशासनिक निकाय हैं। इन निकायों से पूर्व परामर्श के बिना एक बाहरी एक-सदस्यीय आयोग की नियुक्ति राज्य संघों के समुचित कार्य में अनुचित हस्तक्षेप है।

नोटिस में कहा गया है कि इस तरह का हस्तक्षेप एसोसिएशन की प्रगति और खिलाड़ियों पर बुरा असर डाल सकता है। आईओए का यह कदम संघीय खेल संरचना और संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है। बीओए ने आईओए के आदेश को तत्काल रद्द करने की मांग की और शिकायतों के समाधान के लिए अधिक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। ऐसा करने में विफलता पर बीओए ने चेतावनी दी, उन्हें कानूनी उपाय अपनाने के लिए मजबूर किया जाएगा।

बीओए ने मांग की है कि आईओए शिकायतों और प्रतिनिधित्व की पूरी जानकारी साझा करें और बीओए को अपनी बात रखने का मौका दें।

–आईएएनएस

एएस/

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