वजन घटाने की नई दवा से मसल्स मास भी हो सकता है कम : अध्ययन

वजन घटाने की नई दवा से मसल्स मास भी हो सकता है कम : अध्ययन

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। वजन घटाने की दवाओं के बढ़ते उपयोग के बीच, एक नए अध्ययन ने इन लोकप्रिय दवाओं के कारण मसल्स मास में गिरावट की चिंता जताई है।

हाल ही में ‘द लैंसेट’ पत्रिका में प्रकाशित एक टिप्पणी में, अमेरिका और कनाडा के शोधकर्ताओं ने चिकित्सकीय वजन घटाने के संदर्भ में मसल्स मास के महत्व को रेखांकित किया है। इसमें भी खासकर जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट के व्यापक उपयोग पर ध्यान दिया गया है।

हालांकि ये दवाएं मोटापे के इलाज में बहुत प्रभावी साबित हुई हैं, जो कई बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और कैंसर का कारण बन सकता है। लेकिन वे वजन घटाने की प्रक्रिया के दौरान काफी मांसपेशियों का नुकसान भी कर सकती हैं। अमेरिका के पेनिंगटन बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर और कनाडा के अल्बर्टा और मैकमास्टर विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने यह बात कही।

उन्होंने बताया कि 36 से 72 हफ्तों में कुल वजन कम होने में 25 से 39 प्रतिशत मसल्स मास कम हो सकता है। जबकि मसल्स की भूमिका न केवल शारीरिक ताकत और कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए है, बल्कि यह मेटाबॉलिक स्वास्थ्य और शरीर की इम्यून सिस्टम के नियंत्रण के लिए भी आवश्यक है।

टीम ने पाया कि जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट्स से मांसपेशियों में कमी अधिक होती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह “अनपेक्षित नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों” का कारण बन सकता है। क्योंकि कम मांसपेशी वाले लोगों की इम्यूनिटी कम होती है और वे संक्रमण, खराब ग्लूकोज नियंत्रण और अन्य स्वास्थ्य जोखिमों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

अधिकांश मोटापे से पीड़ित लोगों में वजन कम करने के कारण मांसपेशियों की कमी हो जाती है, जिससे सार्कोपेनिक मोटापा बढ़ सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मांसपेशियों की कमजोरी और अधिक वजन दोनों होते हैं। यह हृदय रोग और मृत्यु दर बढ़ाने में योगदान देता है।

पेनिंगटन में मेटाबॉलिज्म और बॉडी कंपोजिशन के प्रोफेसर डॉ. स्टीवन हेम्सफील्ड ने वजन घटाने की दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों से “साइड इफेक्ट्स के प्रति जागरूक रहने” की अपील की। उन्होंने कहा कि, दवाओं के दौरान लोग “कम खा रहे हैं और आवश्यक पोषण नहीं प्राप्त कर रहे हैं।”

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि वजन कम करने के लिए दवाओं के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और व्यायाम पर विचार किया जाना चाहिए।

–आईएएनएस

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