आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केराटाइटिस का नेत्र विशेषज्ञों की तरह ही पता लगाने में सक्षम : शोध

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केराटाइटिस का नेत्र विशेषज्ञों की तरह ही पता लगाने में सक्षम : शोध

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। एक शोध में यह बात सामने आई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केराटाइटिस संक्रमण (आईके) का नेत्र विशेषज्ञों की तरह ही पता लगाने में सक्षम है।

अध्ययन ने स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने में एआई और गहन शिक्षण मॉडल की क्षमता की पुष्टि की है।

केराटाइटिस संक्रमण को आमतौर पर कॉर्नियल संक्रमण के रूप में जाना जाता है। इस बीमारी के कारण दुनिया भर में अंधेपन के लगभग 5 मिलियन मामले सामने आए और हर साल मोनोकुलर ब्लाइंडनेस के लगभग 2 मिलियन मामले सामने आए। इसने विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लोगों को प्रभावित किया है।

यू.के. में बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने केराटाइटिस संक्रमण का पता लगाने के लिए 35 अध्ययनों का मेटा-विश्लेषण किया।

इक्लिनिकल मेडिसिन में प्रकाशित उनके निष्कर्षों से पता चला कि एआई मॉडल नेत्र रोग विशेषज्ञों के काम से मेल खाते है। नेत्र रोग विशेषज्ञों की 82.2 प्रतिशत संवेदनशीलता और 89.6 प्रतिशत विशिष्टता की तुलना में एआई मॉडल ने 89.2 प्रतिशत संवेदनशीलता और 93.2 प्रतिशत विशिष्टता प्रदर्शित की।

बर्मिंघम विश्वविद्यालय में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. डैरेन टिंग ने कहा, ”’हमारा शोध बताता है कि एआई में तेजी से विश्वसनीय रूप से बीमारी का पता लगाने की क्षमता है और यह कॉर्नियल संक्रमण को लेकर एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।”

टिंग ने कहा कि एआई-संचालित मॉडल उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लाभ पहुंचा सकते हैं जहां विशेषज्ञ नेत्र देखभाल तक पहुंच सीमित है और इससे दुनिया भर में रोके जा सकने वाले अंधेपन के बोझ को कम करने में मदद मिल सकती है।

टिंग ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लाभ पहुंचा सकते हैं जहां नेत्र विशेषज्ञों की पहुंच सीमित है और दुनिया भर में रोके जा सकने वाले अंधेपन के बोझ को कम करने में मदद कर सकते हैं।”

एआई मॉडल स्वस्थ आंखों के संक्रमित कॉर्निया और आईके के विभिन्न कारणों, जैसे जीवाणु या फंगल संक्रमण के बीच अंतर करने में भी प्रभावी साबित हुए।

हालांकि शोधकर्ताओं ने परिणामों की व्याख्या सावधानी से करने का आह्वान किया है,

उन्होंने नैदानिक ​​उपयोग के लिए इन मॉडलों की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए अधिक विविध डेटा और बाहरी सत्यापन की आवश्यकता पर जोर दिया।

–आईएएनएस

एमकेएस/सीबीटी

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