नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। उनके अचानक चले जाने से भारतीय उद्योग जगत में एक खालीपन आ गया है। उन्हें करीब से जानने वाले लोगों ने आईएएनएस के साथ बातचीत में बताया कि वह बिल्कुल जमीन से जुड़े व्यक्ति थे और उनकी विरासत लंबे समय तक चलती रहेगी।
टाटा मेडिकल सेंटर, कोलकाता के पूर्व निदेशक मम्मेन चांडी ने रतन टाटा की दूरदर्शी सोच के बारे में बताते हुए कहा, “एक बार उन्होंने मुझसे कहा था, ‘आपको पता है हमने जगुआर लैंडरोवर्स क्यों खरीदा? हमने उसे प्रौद्योगिकी तक पहुंच हासिल करने के लिए खरीदा। हम अपने ट्रकों में वैसा ही गियर बॉक्स चाहते थे जो लैंडरोवर्स में इस्तेमाल होता है।’ “
मम्मेन चांडी बताया कि एक बार उन्होंने रतन टाटा से कहा कि टाटा मेडिकल सेंटर में रिसर्च सेंटर बनाने के लिए 10 करोड़ रुपये की जरूरत है। टाटा समूह के अध्यक्ष ने तुरंत इसकी स्वीकृति दे दी। उन्होंने कहा कि कोलकाता के टाटा मेडिकल सेंटर में आपको लगेगा जैसे आप किसी रिसर्च सेंटर में हैं। यह पूर्वी भारत में सबसे अच्छा कैंसर का अस्पताल है। आज पूर्वी भारत के लोगों को कैंसर के इलाज के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। शायद कोई दूसरी कंपनी नहीं है जिसका 60 प्रतिशत शेयर ट्रस्ट के पास हो, यानी जितना समाज से मिलता है वह समाज को ही लौटा दिया जाता है।
बीएसई के सदस्य रमेश दमानी ने कहा कि रतन टाटा भारतीय उद्योग जगत के संरक्षक थे। उन्होंने कहा, “वह निस्संदेह एक उद्यमी, एक अग्रदूत, एक विजनरी थे, लेकिन इस सबसे ज्यादा वह उद्योग जगत से संरक्षक थे। उन्होंने न सिर्फ अपनी समय, धन और क्षमता के साथ सेवा की बल्कि जिस तरह के स्ट्रक्चर तैयार किए मुझे लगता है कि उनकी विरासत चलती रहेगी।”
‘द ब्रांड कस्टोडियन’ के लेखक मुकुंद गोविंद राजन ने कहा कि रतन टाटा ने कभी पावर को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने कहा, “वह वास्तव में काफी साधारण, जमीन से जुड़े व्यक्ति थे, कम बोलने वाले, एक तरह से अंतर्मुखी थे – निश्चित रूप से मुंबई की कॉकटेल पार्टियों में जाने वाले तो बिल्कुल नहीं थे। उनका करीबी लोगों का सर्किल काफी छोटा था। उन्होंने जब जे.आर.डी. टाटा से समूह की कमान संभाली तो उनकी क्षमताओं पर सवाल भी उठे कि वह उनकी जगह ले पाएंगे, लेकिन उन्होंने देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने के अध्यक्ष पद के साथ मिलने वाले पावर को अपने सिर पर हावी नहीं होने दिया तथा समूह को और आगे लेकर गए।”
भारत फोर्ज के अध्यक्ष बाबा कल्याणी ने रतन टाटा के साथ मुलाकातों को याद करते हुए कहा, “रतन टाटा एक ऐसे इंसान थे जिसने औद्योगिक दृष्टिकोण से भारत को एक किया। वह काफी मृदु स्वभाव के थे। उन्होंने यह दिखाया किया कि भारतीय कंपनियां विदेशों में जाकर अपने कारोबार का विस्तार कैसे कर सकती हैं और भारत के लिए विदेशों में सकारात्मक ब्रांड का निर्माण किया। जब भी मुझे जरूरत होती थी मैं उनसे मिलता था। वह हमेशा मुझे समय देते थे और सुझाव देते थे। ध्यान से मेरी बात सुनते थे और यदि उन्हें लगता था कि मैं गलत हूं तो बताते थे।”
–आईएएनएस
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