भारत में हाउसिंग फाइनेंस मार्केट 2030 तक 15-20 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद : रिपोर्ट

भारत में हाउसिंग फाइनेंस मार्केट 2030 तक 15-20 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद : रिपोर्ट

मुंबई, 7 अक्टूबर (आईएएनएस) । भारत का बैंकिंग क्षेत्र तेजी से विकास कर रहा है। इसमें बढ़ते आरओई (इक्विटी पर रिटर्न), मजबूत परिसंपत्ति गुणवत्ता और आने वाले दशक में प्रमुख बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के अवसर शामिल हैं। सोमवार को आई एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

स्मॉलकेस मैनेजर ओम्नीसाइंस कैपिटल की रिपोर्ट में कहा गया है “भारत में हाउसिंग फाइनेंस मार्केट ने वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 तक लगभग 25 प्रतिशत प्रति वर्ष की वृद्धि दर्ज की है। देश में हाउसिंग फाइनेंस मार्केट 2030 तक 15-20 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने का अनुमान है।

राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) और गति शक्ति पहल के तहत बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए भारत की विशाल योजनाओं को लेकर भारतीय बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”

रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय बैंकों के मौजूदा पी/ई (प्राइस-टू-अर्निंग रेश्यो) स्तर अपेक्षित ऋण और आरओई वृद्धि के विपरीत वैल्यूएशन काफी कम है।

भारत की जीडीपी वृद्धि और खपत के साथ-साथ महत्वपूर्ण परिसंपत्ति-गुणवत्ता में सुधार और एनपीए में कमी के कारण मजबूत ऋण वृद्धि की उम्मीद है।

भारतीय बैंकिंग उद्योग बाजार में मौजूदा मूल्यांकन स्तरों से पुनः रेटिंग के लिए तैयार है। इसके अलावा, बढ़ते डिजिटलीकरण के माध्यम से एससीबी में वृद्धिशील दक्षता सुधार परिचालन व्यय (ओपीईएक्स) में कमी के माध्यम से मार्जिन में अतिरिक्त सुधार प्रदान कर सकता है, इससे इस क्षेत्र से संभावित रिटर्न में और सुधार हो सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष में भारत ने उच्च ऋण वृद्धि देखी। वित्त वर्ष 2024 में देश का सकल बैंक ऋण (ग्रोस बैंकिंग क्रेडिट) 16.3 प्रतिशत बढ़ा, जो पिछले दशक में सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि है।

यह घरेलू आय में वृद्धि, विनिर्माण और निर्यात गतिविधि में वृद्धि, उद्योगों में बेहतर क्षमता उपयोग, लाइफस्टाइल पर बढ़ता खर्च और बढ़ते मध्यम वर्ग की खपत से प्रेरित था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋणदाताओं (बैंकों) के पक्ष में, भारतीय बैंकों में जीएनपीए (ग्रॉस-नॉन परफॉरमिंग एसेट्स) और एनएनपीए (नॉन परफॉरमिंग एसेट्स) दोनों में भारी गिरावट देखी गई है।

यह वित्त वर्ष 2023 में क्रमशः केवल 5.7 लाख करोड़ रुपये और 1.3 लाख करोड़ रुपये के दशक के निचले स्तर पर आ गई है।

–आईएएनएस

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