ऑस्ट्रिया: राष्ट्रपति की राजनीतिक दलों से अपील- सरकार बनाने के लिए दक्षिणपंथी फ्रीडम पार्टी के साथ करें बातचीत

ऑस्ट्रिया: राष्ट्रपति की राजनीतिक दलों से अपील- सरकार बनाने के लिए दक्षिणपंथी फ्रीडम पार्टी के साथ करें बातचीत

वियना, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलन ने नव-निर्वाचित संसद में सभी दलों से अपील की कि वे दक्षिणपंथी फ्रीडम पार्टी के साथ गठबंधन वार्ता में शामिल हों। संसद के निचले सदन नेशनल काउंसिल के चुनाव में फ्रीडम पार्टी 29.2 प्रतिशत वोट हासिल करके पहले नंबर पर रही। पहली बार पार्टी ने यह सफलता हासिल की है।

हालांकि फ्रीडम पार्टी बहुमत से दूर रह गई, इसलिए अब उसे सरकार चलाने के लिए गठबंधन सहयोगियों की जरुरत है। सभी अन्य दलों ने चुनाव से पहले पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना से इनकार किया था।

निवर्तमान सरकार का नेतृत्व करने वाली, रूढ़िवादी पीपुल्स पार्टी केवल 26.5 फीसदी वोट हासिल कर पाई। जबकि 2019 के पिछले आम चुनाव में उसका वोट प्रतिशत 37.5 था। इसके गठबंधन सहयोगी ग्रीन्स का वोट भी 2019 के 13.9 प्रतिशत से घटकर 8 प्रतिशत रह गया।

राष्ट्रपति बेलन ने बुधवार को कहा, “चुनाव अभियान समाप्त हो चुका है। टकराव खत्म हो चुका है। अब समझौता करना होगा।” उन्होंने निवर्तमान सरकार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उसे नई गठबंधन सरकार बनने तक कार्यवाहक के रूप में काम करते रहने को कहा।

वैन डेर बेलन ने कहा कि वह नई संसद में सभी पांच दलों के नेताओं के साथ बातचीत करेंगे क्योंकि अब सवाल जरूरी बहुमत पाने का है।

हालांकि, वैन डेर बेलन ने बुधवार को यह नहीं बताया कि वह फ्रीडम पार्टी के लीडर हर्बर्ट किकल को नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे या नहीं।

ऑस्ट्रिया में राष्ट्रपति की ओर से आम चुनाव जीतने वाली पार्टी को नई सरकार बनाने का जिम्मा सौंपना एक आम प्रथा है, लेकिन संविधान के तहत यह अनिवार्य नहीं है।

अलजजीरा की सोमवार की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में पार्टी का नेतृत्व संभालने वाले किकल ने कहा कि वह संसद में किसी भी पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारा हाथ सभी दिशाओं में फैला हुआ है।’

रिपोट्स के मुताबिक यूरोप में अन्य दक्षिणपंथी पार्टियों की तरह, फ्रीडम पार्टी की लोकप्रयिता भी माइग्रेशन, अर्थव्यवस्था की सुस्ती और कोविड-19 महामारी के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों जैसे मुद्दों पर मतदाताओं के गुस्से के कारण बढ़ी।

-आईएएनएस

एमके/

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