मुंबई, 5 सितंबर (आईएएनएस)। अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने गुरुवार को कहा कि ऐसे समय में जब भारत सुपरपावर बनने के सपने संजो रहा है, हमें इस बड़ी छलांग में देश की मदद के लिए अंतिम चुनौतियों – पूर्ण साक्षरता और शून्य गरीबी – से पार पाने पर ध्यान देना चाहिए।
गौतम अदाणी ने अपने जीवन के उदाहरण साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अदाणी समूह को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कई सीमाओं को तोड़ा। उन्होंने कहा कि भविष्य उन लोगों का है जो वर्तमान से परे देखने की हिम्मत रखते हैं और इस बात को स्वीकार करते हैं कि आज की सीमाएं कल शुरुआती बिंदु होंगी।
अदाणी समूह के अध्यक्ष ने शिक्षक दिवस के अवसर पर यहां जय हिंद कॉलेज में अपने संबोधन में कहा, “ट्रेंड साफ है। हमारी आजादी के बाद हमारी जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) को पहले ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में 58 साल लगे, अगले ट्रिलियन डॉलर के लिए 12 साल और तीसरे के लिए सिर्फ पांच साल लगे। मेरा अनुमान है कि अगले दशक के भीतर भारत के जीडीपी में हर 18 महीने में एक ट्रिलियन डॉलर जुड़ना शुरू हो जाएगा, जिससे हम 2050 तक 25 से 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर होंगे।”
उन्होंने कहा कि विकास की यह गति और पैमाना हम सभी के लिए अविश्वसनीय संभावनाओं को जन्म देगा। हालांकि, सबसे बड़ी सीमा जहां हम सभी को एक राष्ट्र के रूप में सामूहिक रूप से पहुंचना चाहिए, वह है शत-प्रतिशत साक्षरता और शून्य गरीबी।
गौतम अदाणी ने कहा, “मेरा दृढ़ विश्वास है कि इस सीमा तक पहुंचने के बाद हम सुपरपावर बनने की राह पर बढ़ेंगे, जिसके हमने हमेशा से सपने संजोए हैं। और, एक राष्ट्र के रूप में – हम आज से पहले कभी इसके इतने करीब नहीं थे। हम एक अविश्वसनीय कालखंड की कगार पर खड़े हैं, जहां भारत का ऐसे सबसे बड़े विकास प्लेटफार्मों में से एक बनना तय है, जिसे दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा होगा।”
उन्होंने कहा, “एक लोकतंत्र जिसका समय आ गया है, उसे रोका नहीं जा सकता और भारत का समय आ गया है। भविष्य का निर्माण हमें करना है, और आज हम जिन सीमाओं तक पहुंचेंगे, वे कल के भारत को परिभाषित करेंगी।”
अदाणी समूह के अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि देश की सबसे बड़ी ताकत उसके युवा हैं। आज, केवल 29 वर्ष की औसत आयु के साथ भारत 2050 तक दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता समाज बनने की स्थिति में है – अभूतपूर्व आर्थिक विकास के पीछे प्रमुख प्रेरक शक्ति।
गौतम अदाणी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “यह एक चौंका देने वाला अनुमान है कि 2050 में भी हमारी औसत आयु केवल 39 वर्ष होगी। इससे अधिक सशक्तिकरण कुछ नहीं हो सकता कि हम पूरी तरह साक्षर, शून्य गरीबी वाली और 40 से कम की औसत उम्र वाली सबसे बड़ी वैश्विक आबादी बनें।”
–आईएएनएस
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