एल्विस प्रेस्ली : जिनका वक्त नहीं दौर था, बॉलीवुड ने भी खूब किया कॉपी

एल्विस प्रेस्ली : जिनका वक्त नहीं दौर था, बॉलीवुड ने भी खूब किया कॉपी

नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)। कुछ दिनों पहले एक फिल्म आई थी, नाम था ‘अमर सिंह चमकीला’। दिलजीत दोसांझ स्टारर ‘अमर सिंह चमकीला’ पंजाब के एक सिंगर अमर सिंह चमकीला की जिंदगी पर आधारित थी। अमर सिंह चमकीला को ‘क्रांतिकारी’ गायक माना जाता था। दावा तो यहां तक किया जाता था कि अमर सिंह चमकीला खुद एल्विस प्रेस्ली से प्रेरित थे।

एल्विस प्रेस्ली अमेरिकन सिंगर, म्यूजिशियन और एक्टर थे। उनके चाहने वाले दुनियाभर में थे। आज भी एल्विस प्रेस्ली के चाहने वाले दुनियाभर में मौजूद हैं। अगर एल्विस प्रेस्ली के बॉलीवुड कनेक्शन की बात करें तो उनका शम्मी कपूर, देवानंद से लेकर मिथुन चक्रवर्ती और यहां तक कि बप्पी लहरी पर भी खासा प्रभाव था।

एल्विस प्रेस्ली मतलब संगीत की दुनिया में ‘रॉक एंड रोल के बादशाह’। एक ऐसा आर्टिस्ट जिसके स्टेज पर आते ही भीड़ चीखने-चिल्लाने लगती थी। और, जब यह आर्टिस्ट हाथ में माइक लेकर गाना शुरू करता था तो देखने वाले सम्मोहित हुए बिना नहीं रह पाते थे। ‘ब्रिटानिका’ वेबसाइट के मुताबिक एल्विस प्रेस्ली का जन्म 8 जनवरी 1935 को मिसिसिपी के ट्यूपलो में हुआ था। उन्होंने 16 अगस्त 1977 को टेनेसी में आखिरी सांस ली।

एल्विस के जन्म लेते ही उन पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। एक जुड़वा भाई जन्म लेने के साथ गुजर गया। एल्विस के जन्म के समय अमेरिका में रंगभेद तेजी से बढ़ रहा था। हर तरफ और समाज के हर तबके में नस्लभेद दिखाई देता था। उस समय ‘रॉक म्यूजिक’ को काले लोगों से जोड़ा जाता था। किस्मत का कनेक्शन ऐसा रहा कि एल्विस के पिता धोखाधड़ी के मामले में जेल चले गए और एल्विस को अपनी मां के साथ मिसिसिपी के मेमफिस आना पड़ा। इस इलाके में अश्वेतों की काफी संख्या थी। माना जाता है कि इसी जगह रहते हुए एल्विस के दिल और दिमाग में ‘रॉक’ म्यूजिक ने घर बनाना शुरू किया।

अपने करियर की शुरुआत में एल्विस ने ‘गोरे’ लोगों के सामने अश्वेत समुदाय के फेवरेट ‘रॉक’ को पेश किया। गाने के साथ एल्विस अफ्रीकन डांसिंग स्टाइल भी खूब इस्तेमाल करते थे। यही वजह रही कि एल्विस नस्लभेद के दोनों किनारों को साथ लाने में काफी हद तक सफल भी हुए। उनकी प्रस्तुति देखने वालों के बीच ‘नस्लभेद’ दिखाई या सुनाई नहीं देता था। एल्विस प्रेस्ली ने कई गाने गाए, कई स्टेज शो किए। ‘रॉलिंग स्टोन’ के एक सर्वे में एल्विस प्रेस्ली के 10 बेहतरीन गानों को जगह मिली, जिसके दीवाने दुनियाभर में फैले थे।

उनके गाने ‘सस्पिशन माइंड्स’ के बारे में माना जाता है कि यह एल्विस प्रेस्ली की वैवाहिक जिंदगी की असफलता से प्रेरित थी। इसी तरह ‘इफ आय कैन ड्रीम’, ‘इन द घेटो’, ‘जेलहाउस रॉक’, ‘कान्ट हेल्प फालिंग इन लव’, ‘लव मी टेंडर’, ‘हर्टब्रेक होटल’, ‘एन अमेरिकन ट्रायलॉजी’, ‘केंटकी रेन’, ‘मिस्ट्री ट्रेन’, ‘बर्निंग लव’ जैसे गानों ने एल्विस को नई पहचान दी।

एल्विस ने अपने करियर के दौरान कई सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। लोगों को प्रेरित करने का काम भी किया। लेकिन, उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ हमेशा से विवादों में रही। उनकी नशे से जुड़ी खबरें मीडिया की सुर्खियां बनती थी। 42 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले एल्विस की मौत भी किसी पहेली से कम नहीं थी। 16 अगस्त 1977 को एल्विस का शव बाथरूम में मिला था। बताया गया कि एल्विस की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई थी। बाद में पता चला कि नशीली दवाओं की ओवरडोज उनकी मौत की वजह बनी।

एल्विस प्रेस्ली एक ऐसे आर्टिस्ट थे, जिनकी कद्र बॉलीवुड ने भी खूब की। बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर शम्मी कपूर से लेकर देवानंद तक की हेयर स्टाइल पर एल्विस प्रेस्ली की झलक दिखती थी। फिल्मों में भी शम्मी कपूर की एक्टिंग में एल्विस की झलक दिख जाती थी। यहां तक कि मिथुन चक्रवर्ती भी कहीं ना कहीं एल्विस प्रेस्ली के हावभाव अपनाते दिख चुके हैं। म्यूजिक कंपोजर बप्पी लहरी भी एल्विस प्रेस्ली से काफी प्रभावित थे। फिल्म ‘डिस्को डांसर’ में मिथुन चक्रवर्ती ने एल्विस प्रेस्ली के डांस मूवमेंट्स को खूब कॉपी किया था। बप्पी लहरी भी जितने एसेसरीज यूज करते थे, उन पर भी एल्विस प्रेस्ली की झलक दिखाई देती थी।

–आईएएनएस

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