पेरिस ओलंपिक में भारतीय एथलीटों के प्रदर्शन में व्यापक सुधार, हम सही रास्ते पर हैं : जावेद अशरफ (आईएएनएस साक्षात्कार)

पेरिस ओलंपिक में भारतीय एथलीटों के प्रदर्शन में व्यापक सुधार, हम सही रास्ते पर हैं : जावेद अशरफ (आईएएनएस साक्षात्कार)

पेरिस, 13 अगस्त (आईएएनएस)। पेरिस ओलंपिक खेलों का समापन हो गया है। भारत ने इस मेगा इवेंट में 1 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज मेडल समेत 6 पदक जीते। फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ ने आईएएनस के साथ खास बातचीत में पेरिस ओलंपिक, भारत के प्रदर्शन और खेलों में भारत के भविष्य पर बात की।

जावेद अशरफ ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “मेरा मानना है कि यह हर तरह से एक शानदार ओलंपिक था। यह एक अनूठा और बहुत ही अलग तरह का ओलंपिक था। उद्घाटन समारोह सीन नदी पर हुआ था, और कई खेलों का आयोजन पेरिस के प्रसिद्ध स्थलों पर बनाए गए अस्थायी स्टेडियमों में किया गया था। मुझे लगता है कि यह सिर्फ प्रतियोगिता का रोमांच ही नहीं था, बल्कि प्रतियोगिता को देखने का दृश्य आकर्षण भी था। यह ऐसा ओलंपिक भी था जिसमें आपने कुछ आश्चर्यजनक, शानदार प्रदर्शन देखे।”

ओलंपिक में सुरक्षा और प्रबंधन पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “सुरक्षा व्यवस्था बहुत अच्छी थी। आप जानते हैं, यह दुनिया के सबसे कठिन समयों में से एक है। विशेष रूप से फ्रांस को आतंकवाद के खतरों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन कुल मिलाकर, सुरक्षा प्रबंधन शानदार था। मुझे लगता है कि ओलंपिक मूवमेंट अधिक से अधिक सस्टेनेबिलिटी और कार्बन फुटवर्क को कम करने के प्रति जागरूक हो रहा है।”

“पेरिस ओलंपिक का प्रबंधन शानदार था। स्टेडियमों तक पहुंच, स्टेडियमों से बाहर निकलना भी आने-जाने वालों के लिए सुखद अनुभव था। कुल मिलाकर, दुनिया भर में यह धारणा है कि इसने दुनिया भर में ओलंपिक में रुचि को पुनर्जीवित करने का एक बड़ा काम किया।”

पेरिस ओलंपिक में सुविधाओं को लेकर कुछ शिकायतें भी सामने आई, जिस पर बात करते हुए जावेद अशरफ ने कहा, “खेल गांव में कुछ व्यवस्थाएं ऐसी थीं जिनके बारे में खिलाड़ियों ने हमें फीडबैक दिया था। उदाहरण के लिए, एयर कंडीशनिंग की कमी, तापमान तथा आर्द्रता के कारण उन्हें ठीक से आराम करने में बहुत मुश्किल हो रही थी। एयर कंडीशनिंग के बिना, भोजन से संबंधित भी कुछ समस्याएं थी। कुछ लॉजिस्टिक मुद्दों के कारण कुछ समस्याएं थी। लेकिन कुल मिलाकर, यह एक बढ़िया ओलंपिक था और फ्रांस को इसके आयोजन के तरीके पर गर्व होना चाहिए।”

जावेद ने बताया कि फ्रांस में भारत के दूतावास ने खिलाड़ियों की सहायता के लिए काफी कार्य किया। उन्होंने कहा, “भारतीय ओलंपिक संघ, भारतीय खेल प्राधिकरण, विभिन्न खेल संघों और खेल मंत्रालय के साथ-साथ, कुछ कॉर्पोरेट फाउंडेशनों जैसे रिलायंस फाउंडेशन के साथ मिलकर, हम एक साल से काम कर रहे हैं। हमने स्थानीय परिस्थितियों, स्थानीय आवश्यकताओं और यहां भाग लेने के लिए ध्यान देने वाली बातों पर उन्हें सलाह दी है। मुझे लगता है कि उन्होंने इन सुझावों में से कई को अपनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का स्पष्ट निर्देश था कि एथलीटों और उनकी सहायक टीम की स्थिति आरामदायक बनाने के लिए सब कुछ किया जाना चाहिए।”

“खिलाड़ियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा गया था। उन्हें किसी भी चीज की कमी नहीं महसूस हुई, ताकि वे पूरी तरह से अपने प्रशिक्षण और प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर सकें। आपने देखा होगा, ओलंपिक से पहले दूतावास ने चिकित्सा उपकरण, रिकवरी उपकरण, खिलाड़ियों के लिए विशेष युनिट, गेम्स विलेज में लॉजिस्टिक्स, फर्नीचर और अन्य आवश्यकताओं के लिए बहुत सारे सामान खरीदने में मदद की। साथ ही, हमने और कई अन्य तरीकों से सहयोग दिया।”

उन्होंने कहा, “दूतावास ने पहले से ही अनुमान लगा लिया था कि जुलाई का महीना बहुत गर्म और आर्द्र हो सकता है। इसलिए, हमने ऐसी व्यवस्था की थी कि आपात स्थिति में हम तुरंत एयर कंडीशनिंग यूनिट उपलब्ध करा सकें। हमारे एथलीट 38 कमरों का उपयोग कर रहे थे। एसी उपलब्ध कराने के बाद वे सभी बहुत आरामदायक थे। हमारा प्रयास हमेशा यह रहा है कि हम हर जरूरत के लिए तत्पर रहें। प्रधानमंत्री ने इसके लिए पहले से निर्देश दे दिए थे। वह खेल पर बहुत ध्यान केंद्रित करते हैं। वह युवा विकास और सशक्तिकरण पर बहुत ध्यान केंद्रित करते हैं। और, वह यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत उत्सुक हैं कि सिस्टम इस तरह से काम करें कि एथलीटों का प्रदर्शन सर्वोत्तम हो। इसलिए मुझे लगता है कि हमारा पूरा प्रयास इसी से निर्देशित था।”

उन्होंने भारत के प्रदर्शन पर बात करते हुए कहा, “कई बार हम चौथे स्थान पर आए, कुछ चुनौतियां थीं और फिर कुछ मुद्दे थे। इसे देखने के हमेशा दो तरीके होते हैं। एक तरीका है- हमारे पास पदकों की संख्या, और रैंकिंग में हम कहां खड़े हैं। दूसरा तरीका है वास्तव में गहराई में जाकर एथलीटों के प्रदर्शन को देखना। मुझे लगता है कि कुल मिलाकर प्रदर्शन में हम एक व्यापक सुधार देख रहे हैं। ऐसे देश हैं जिन्होंने शायद बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन अगर मैं औसत प्रदर्शन को देखूं, तो हमारे पास लगभग 6 या 7 एथलीट चौथे स्थान पर रहे थे।”

उन्होंने कहा कि, मैंने ओलंपिक विलेज में खुद खिलाड़ियों से बात की थी। खिलाड़ी बहुत कॉन्फिडेंट, फिट और बड़े टूर्नामेंट में भाग लेने के डर से दूर थे। हॉकी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बहुत अच्छा खेल दिखाया गया। पिछले कुछ ओलंपिक में 100 से ज्यादा एथलीट ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर रहे हैं और यह अपने आप में एक उपलब्धि है। हमारा लक्ष्य है कि ओलंपिक में भारतीय दल में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत हो। मुझे उम्मीद है समय के साथ हम बेहतर होंगे और अधिक मेडल आएंगे। इसके लिए हमें अपने खेल में अपनी ताकत को पहचानना होगा। जैसे यूएस एथलेटिक्स, ऑस्ट्रेलिया स्विमिंग, जापान जूडो और रेसलिंग, चीन स्विमिंग, जिम्नास्टिक, आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक आदि में अच्छा करता है।

उन्होंने कहा, “भारत सरकार ने खिलाड़ियों के लिए मेडिकल स्पेशलिस्ट, फुल मेडिकल रिकवरी यूनिट, फिजियोथेरेपिस्ट, खेल मनोवैज्ञानिक, स्लीप स्पेशलिस्ट की व्यवस्था की। खिलाड़ियों को भी उसी प्रकार से प्रतिक्रिया देने की दरकार है। मैं यह कह सकता हूं कि हम सही रास्ते पर हैं। हमें सिर्फ चार साल में एक बार ओलंपिक पर फोकस नहीं करना है, बल्कि हर साल क्रिकेट की तरह अपने खेलों पर ध्यान देना है।”

–आईएएनएस

एएस/

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