क्या गर्भाशय फाइब्रॉएड का खतरा बढ़ा सकता है मधुमेह, विशेषज्ञों ने दिया जवाब

क्या गर्भाशय फाइब्रॉएड का खतरा बढ़ा सकता है मधुमेह, विशेषज्ञों ने दिया जवाब

नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)। विशेषज्ञों ने कहा है कि मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड्स होने का जोखिम बढ़ सकता है, लेकिन अभी तक यह पूरी तरह से साबित नहीं हो सका है।

फाइब्रॉएड गर्भाशय में होने वाला अहानिकारक ट्यूमर है, जो अक्सर महिलाओं में उनके प्रसव के वर्षों के दौरान होता है।

देश की युवा म‍हिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड की घटना एक प्रमुख स्त्री रोग संबंधी चिंता बनकर सामने आ रही है। मगर इसके सही कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। इस स्थिति से अक्सर जुड़े कारकों में जेनेटिक और कुछ जीवनशैली कारक शामिल हैं।

गुरुग्राम के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक डॉ. चेतना जैन ने आईएएनएस को बताया, “ऐसा माना जाता है कि मधुमेह गर्भाशय फाइब्रॉएड से जुड़ा है, लेकिन अभी तक यह सिद्ध नहीं हुआ है। यह बेहद ही जटिल प्रश्‍न है, जिसकी खोज के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है।”

डॉक्टर ने कहा, ”ऐसे सबूत हैं जो बताते हैं कि मधुमेह से जुड़े कारक जैसे इंसुलिन प्रतिरोध, मोटापा और पुरानी सूजन, फाइब्रॉएड के विकास में योगदान कर सकते हैं। हालांकि, इस संबंध की सटीक जानकारी सामने नहीं आई हैं। इस संबंध को स्पष्ट करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है।”

शोध से पता चला है कि 50 वर्ष की आयु तक 20 से 80 प्रतिशत महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड विकसित हो जाता है। ये 40 और 50 के दशक की शुरुआत में महिलाओं में सबसे आम है।

कुछ शोधों में कहा गया है क‍ि मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड का खतरा अधिक होता है। वहीं, आयु और समग्र चयापचय स्वास्थ्य जैसे अन्य कारक भी फाइब्रॉएड के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इसके साथ ही दर्द, भारी मासिक धर्म और कभी-कभी फाइब्रॉएड के कारण बांझपन जैसी कई समस्याएं मधुमेह की उपस्थिति से और भी बदतर हो सकती हैं।

डॉ जैन ने कहा, ”मधुमेह से गर्भाशय फाइब्रॉएड का एक संभावित संबंध है, लेकिन इसे सीधे अभी जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जा सकता। यह आमतौर पर हार्मोनल चयापचय और सूजन प्रक्रियाओं के संयोजन के कारण है जो दोनों स्थितियों में आम हैं।”

आर्टेमिस हॉस्पिटल्स में चीफ – एंडोक्रिनोलॉजी डॉ. धीरज कपूर ने बताया कि गर्भाशय फाइब्रॉएड गर्भाशय में गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि है।

उन्होंने आईएएनएस को बताया, ”मधुमेह और गर्भाशय फाइब्रॉएड के विकास के बीच इंसुलिन प्रतिरोध एक कारण हो सकता है।”

इतना ही नहीं, टाइप 2 मधुमेह से जुड़ा मोटापा भी फाइब्रॉएड के लिए एक ज्ञात जोखिम कारक है।

विशेषज्ञों ने कहा कि आहार, व्यायाम और दवा के माध्यम से रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने से मधुमेह से पीड़ित लोगों में फाइब्रॉएड के जोखिम को कम करने में काफी मदद मिल सकती है।

–आईएएनएस

एमकेएस/एबीएम

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