नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान होने वाले हार्मोनल परिवर्तन से लगभग 10-20 प्रतिशत महिलाओं में सोरायसिस का खतरा बढ़ सकता है।
सोरायसिस एक ऑटोइम्यून स्थिति है जो त्वचा की सूजन का कारण बनती है। इसमें शरीर पर मोटे, खुजलीदार, पपड़ीदार पैच पड़ते हैं, जो आमतौर पर घुटनों, कोहनी, धड़ और यहां तक कि खोपड़ी पर भी होते हैं। इसके सामान्य लक्षण लाल धब्बे, चकत्ते, त्वचा पर पपड़ी जमना, सूखी और फटी हुई त्वचा, खुजली और दर्द हैं।
यह एक अति सक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होता है जो सूजन का कारण बनता है।
लीलावती अस्पताल मुंबई की त्वचा विशेषज्ञ डॉ. जिशा पिल्लई ने आईएएनएस को बताया, “गर्भावस्था महिलाओं के लिए एक जीवन बदलने वाला चरण है। हालांकि, यह अक्सर गर्भवती माताओं के लिए कई तरह की चुनौतियां ला सकता है। इसमें से एक गंभीर समस्या सोरायसिस है। गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव अक्सर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यून रिस्पांस) को बदलाव की ओर ले जाता है।”
पिल्लई ने कहा, “लगभग 10-20 प्रतिशत महिलाएं गर्भावस्था के दौरान सोरायसिस से पीड़ित हो सकती हैं। हालांकि, सोरायसिस के कारण भ्रूण को कोई खतरा नहीं होता।”
पिल्लई ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान तनाव सोरायसिस को भी बढ़ा सकता है और इस स्थिति की नई शुरुआत को जन्म दे सकता है। इसके अलावा स्किनकेयर रूटीन में बदलाव और पर्यावरण संबंधी ट्रिगर्स के प्रति संवेदनशीलता गर्भवती महिलाओं को प्रकोप के लिए अधिक जोखिम में डाल सकती है।
अन्य ट्रिगर कारकों में धूम्रपान, शराब, त्वचा संक्रमण, ठंडा मौसम और कुछ दवाएं शामिल हैं।
गर्भावस्था के हार्मोनों के अलावा दवाओं में परिवर्तन भी सोरायसिस के लिए संभावित ट्रिगर का काम करता है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी, प्रसूति और स्त्री रोग की एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. परिनिता कलिता ने आईएएनएस को बताया, ” गर्भावस्था के दौरान सोरायसिस के उपचार की सलाह नहीं दी जाती क्योंकि इससे भ्रूण को नुकसान पहुंच सकता है।”
डॉक्टर ने कहा कि गर्भावस्था से पहले अधिक गंभीर सोरायसिस वाली महिलाओं में भी इसके बढ़ने का जोखिम अधिक हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने गर्भावस्था के दौरान सोरायसिस को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद के लिए त्वचा विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्हें केवल त्वचा विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उत्पादों का उपयोग करना चाहिए।
पिल्लई ने कहा, ” गर्भवती को सोरायसिस के लक्षण दिखते ही बिना देरी किए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। “
–आईएएनएस
एमकेएस/केआर