सोशल, इन्वॉयरमेंटल और इकोनॉमिकल सस्टेनिबिलिटी के आधार पर नगरों का होगा कायाकल्प

सोशल, इन्वॉयरमेंटल और इकोनॉमिकल सस्टेनिबिलिटी के आधार पर नगरों का होगा कायाकल्प

लखनऊ, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में सोशल, इन्वॉयरमेंटल और इकोनॉमिकल सस्टेनिबिलिटी के आधार पर नगरों का कायाकल्प होगा। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र के अनुसार नगरों का विकास सस्टेनेबल ग्रोथ के तीन स्तंभों पर आधारित है, जिससे विकास की पूरी प्रकिया को स्थाई रूप प्रदान किया जा सके।

दरअसल, प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, व्यवसाय, सामान्य अवस्थापना, पीने के लिए शुद्ध पेयजल, अस्पताल, बिजली, सड़क और आवास के लिए योगी सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मिशन टू मूवमेंट’ के जरिए अपना लक्ष्य तय कर रही है। सरकार प्रदेश के विकास के हर मिशन को जन-आंदोलन का रूप देना चाहती है। इसी नजरिए के साथ प्रदेश के सभी 762 नगरों को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर ही डेवलप करने को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है।

मुख्य सचिव के अनुसार स्मार्टनेस की हमारी अवधारणा ‘गेटिंग मोर फ्रॉम लेस’ की है। इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ टेक्नोलॉजी पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यक्ता है। जैसे, प्रदेश के सभी स्मार्ट सिटी और नगर निगमों को आज इंटिग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर से जोड़ा जा चुका है। कोरोना काल में आई ट्रिपल-सी ने शानदार काम किया था। आज इससे एक ही छत के नीचे से पूरे शहर को मैनेज किया जा सकता है। ये आई ट्रिपल-सी नगरों के नर्व्स और ब्रेन बन चुके हैं।

मुख्य सचिव के अनुसार सोशल सस्टेनेबिलिटी के जरिए आम जनता को विकास की प्रक्रिया के साथ जोड़ना है। जनता खुद विकास कार्यों से जुड़े, पर्यावरण के महत्व को समझे, हमारे प्राचीन भारतीय मूल्यों के साथ जुड़कर विकास के कार्यों में सहभागी बने। हर कोई जानता है कि यूपी में नदियों का जाल है, ज्यादातर हिमालयी नदियों में सालभर पानी रहता है। बावजूद इसके कई नदियां मृतप्राय हो गई थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जनता का नदियों से जुड़ाव खत्म होने लगा था।

धीरे-धीरे नदियां कूड़ा और औद्योगिक कचरा ढोने वाली वाहिकाएं बनने लगी। योगी सरकार में यूपी में 50 से अधिक नदियों को पुनर्जीवित किया जा चुका है। इसी प्रकार ऐसे तमाम पोखरे तालाब लगभग मर चुके थे। आज उन्हें अमृत सरोवर का रूप दिया गया है। इनके पास अमृत वन बनाए गये हैं। तालाबों पर घाट बन गये हैं।

–आईएएनएस

विकेटी

E-Magazine