श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के संत करेंगे राम मंदिर लोकार्पण से पहले अनुष्ठान

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के संत करेंगे राम मंदिर लोकार्पण से पहले अनुष्ठान

अयोध्या में भगवान श्री राम के बन रहे भव्य मंदिर के लोकार्पण को लेकर पूरा देश इंतजार में है। वही धर्म की नगरी काशी में भगवान श्री राम के मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले कार सेवकों के लिए अनुष्ठान होने जा रहा है। यह अनुष्ठान बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में देशभर से जुटे संत करेंगे। मृतक कार सेवकों की आत्मा की शांति के लिए अखिल भारतीय संत समिति और अखाड़ा परिषद के अगुवाई में यह अनुष्ठान मोक्ष की नगरी में 2 नवंबर को किया जाएगा।

अनुष्ठान में देशभर के 400 से ज्यादा संत, महामंयूडलेश्वर और शंकराचार्य होंगे शामिल

2 नवंबर को बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में मृत कार सेवकों के लिए होने वाले इस अनुष्ठान को लेकर अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रान्द सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में भगवान श्री राम का बन रहा भव्य मंदिर में कार सेवकों की बड़ी भूमिका है और इसे देश का इतिहास भूल नही सकता है। 30 अक्टूबर और 2 नवंबर 1990 में निहत्थे कार सेवकों को गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन कार सेवकों के आत्मा की शांति के लिए एक साथ देशभर के संत, शंकराचार्य और महामंडलेश्वर एक साथ बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अनुष्ठान करेंगे।

कार सेवकों के मोक्ष के लिए होगा रुद्राभिषेक, सनातन के इतिहास में अद्भुत होगा नज़ारा

बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाले आयोजन को लेकर स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि 2 नवंबर को देश के शीर्ष संत और महामंडलेश्वर के साथ शंकराचार्य मंदिर परिसर में जमीन पर बैठ अनुष्ठान और रुद्राभिषेक करेंगे। कार सेवकों की मोक्ष के लिए हो रहे रुद्राभिषेक का यह अद्भुत नजारा देश के इतिहास का होने वाला है। यह आयोजन देश के युवाओं को जागृत करने के लिए है, कि वह भी जाने की भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण में किन लोगो ने अपनी आहूति दिया है।

काशी में होगा संस्कृति संसद का आयोजन, पोस्टर का हुआ लोकार्पण

काशी में अगामी 3 से 5 नवंबर को संस्कृति संसद का आयोजन होने वाला है। इस आयोजन में देश – विदेश के संत शामिल होंगे। तीन दिवसीय इस आयोजन में सनातन संस्कृति को लेकर चर्चा की जाएगी। इस आयोजन को लेकर गंगा महासभा के द्वारा पोस्टर का लोकार्पण किया गया। संस्कृति संसद में शंकराचार्य, महामंडलेश्वर शामिल होकर अपने विचार रखेंगे।

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