नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। जिन लोगों के ब्लड में ‘विटामिन के’ का स्तर कम होता है उनके फेफड़े खराब होने की संभावना अधिक होती है।
इसकी कमी वाले लोग अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और घरघराहट से पीड़ित होते हैं। गुरुवार को प्रकाशित हुए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
‘विटामिन के’ पत्तेदार हरी सब्जियों, वनस्पति तेलों और अनाजों में पाया जाता है। यह रक्त (ब्लड) के थक्के जमने में भूमिका निभाता है, और इसलिए शरीर को घावों को ठीक करने में मदद करता है। लेकिन, शोधकर्ताओं को फेफड़ों के स्वास्थ्य में इसकी भूमिका के बारे में बहुत कम पता है।
ईआरजे ओपन रिसर्च जर्नल में प्रकाशित नए परिणाम, विटामिन के सेवन पर वर्तमान सलाह में कोई बदलाव नहीं करते हैं।
शोधकर्ता डॉ. टोर्किल जेस्पर्सन ने कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार, बड़ी सामान्य आबादी में ‘विटामिन के’ और फेफड़ों की कार्यप्रणाली पर यह पहला अध्ययन है। हमारे परिणाम बताते हैं कि ‘विटामिन के’ हमारे फेफड़ों को स्वस्थ रखने में भूमिका निभा सकता है।
यह अध्ययन कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल और कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी में डेनिश शोधकर्ताओं की एक टीम ने किया था। इसमें कोपेनहेगन में रहने वाले 24 से 77 वर्ष की आयु के 4,092 लोगों का एक समूह शामिल हुआ था।
शोधकर्ताओं ने पाया कि ‘विटामिन के’ के कम स्तर वाले लोगों में औसतन एफईवी1 कम और एफवीसी कम था। ‘विटामिन के’ के कम स्तर वाले लोगों में यह कहने की अधिक संभावना थी कि उन्हें सीओपीडी, अस्थमा या घरघराहट है।
शोधकर्ता जेस्पर्सन ने कहा कि अपने आप में, हमारे निष्कर्ष ‘विटामिन के’ सेवन के लिए वर्तमान सिफारिशों में बदलाव नहीं करते हैं, लेकिन वे सुझाव देते हैं कि हमें इस पर और अधिक शोध की जरूरत है कि क्या कुछ लोग, जैसे कि फेफड़ों की बीमारी वाले लोग, ‘विटामिन के’ पूरकता से लाभान्वित हो सकते हैं।
–आईएएनएस
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