रामनवमी झड़प पर एनआईए जांच रोकने को बंगाल सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

रामनवमी झड़प पर एनआईए जांच रोकने को बंगाल सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

कोलकाता, 28 जुलाई (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल सरकार ने शुक्रवार को फिर से कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल न्यायाधीश पीठ का दरवाजा खटखटाया और इस साल रामनवमी जुलूस की हिंसा की घटनाओं की एनआईए जांच पर रोक लगाने की मांग की।

राज्य सरकार का यह कदम एनआईए द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल न्यायाधीश पीठ के मामले में पश्चिम बंगाल पुलिस प्रशासन पर असहयोग का आरोप लगाने के 48 घंटे बाद आया है, खासकर मामले से संबंधित दस्तावेजों को केंद्रीय एजेंसी को सौंपने के संबंध में। .

मामले की एनआईए जांच के आदेश कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. की शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने दिये थे।

राज्य सरकार ने उस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में इस आधार पर चुनौती दी कि एनआईए जांच का आदेश जनहित याचिका के आधार पर दिया गया था, जो राज्य सरकार के अनुसार अनुचित था।

राज्य सरकार की याचिका को शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया।

इस साल 27 अप्रैल को, मामले में एनआईए जांच का आदेश देते हुए, कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि यह राज्य पुलिस की क्षमता से परे है कि वे उन लोगों को ढूंढ सकें, जो झड़प के लिए जिम्मेदार थे या जिन्होंने इसे उकसाया था।

इससे पहले, इसी खंडपीठ ने अशांत बेल्टों में घरों की छतों से पथराव के संबंध में राज्य पुलिस की खुफिया शाखा की दक्षता पर भी सवाल उठाया था।

पीठ ने छतों पर पत्थर जमा होने की जानकारी मिलने में खुफिया तंत्र की विफलता पर सवाल उठाया।

–आईएएनएस

सीबीटी

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