तवांग मठ ने दी सलाह भारत-चीन को एक-दूसरे पर भरोसा की जरूरत

तवांग मठ ने दी सलाह भारत-चीन को एक-दूसरे पर भरोसा की जरूरत

मठाधीश ने कहा कि भारत और चीन की सरकारों को एक दूसरे पर भरोसा रखना होगा। उसके बाद उन्हें स्थिति के पीछे की सच्चाई जानते की जरूरत है कि आखिर वास्तविकता क्या है। उन्होंने कहा कि हमें उनके दावों पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि आखिर सच्चाई क्या है।

भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव को रोकने के लिए तवांग मठ ने सलाह दी। मठाधीश ने कहा कि भारत और चीन को एक-दूसरे पर भरोसा रखने और बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाने के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है।

दशकों पहले तिब्बत से भारत आए मठाधीश शेडलिंग तुलकू थुप्टेन तेंदर रिंपोछे ने दावा किया कि तिब्बत में कोई धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है। उन्होंने कहा कि वह घर वापस तभी जाएंगे जब इन मुद्दों का समाधान हो जाएगा।

मठाधीश ने कहा कि भारत और चीन की सरकारों को एक दूसरे पर भरोसा रखना होगा। उसके बाद उन्हें स्थिति के पीछे की सच्चाई जानते की जरूरत है कि आखिर वास्तविकता क्या है। उन्होंने कहा कि हमें उनके दावों पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि आखिर सच्चाई क्या है।

दोनों देशों के बीच मुद्दों के समाधान के लिए चर्चा को एकमात्र विकल्प बताया। उन्होंने कहा, ‘हम तिब्बत, चीन या भारत में रहने वाले लोगों की समस्याओं को युद्ध से हल नहीं कर सकते। हम शांतिपूर्ण तरीके से चर्चा करके ही समाधान कर सकते हैं।

हालांकि, उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि तिब्बत में कोई धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है, जहां से वह 1960 के दशक में चले आए थे और तब से केवल एक बार 2001 में वापस गए थे। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि अपने घर की याद नहीं आती है, लेकिन अब घर लौटने की कोई इच्छा नहीं है क्योंकि तिब्बत में कोई धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है। 

उन्होंने कहा कि वह तिब्बत तभी जाएंगे जब दलाई लामा वहां जाएंगे और तिब्बत सरकार के साथ मुद्दा सुलझ जाएगा। बता दें, तवांग मठ एशिया का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे पुराना मठ है। इसकी स्थापना 1680-81 में हुई थी।

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