जानवरों के फेला संक्रामक रोग

जानवरों के फेला संक्रामक रोग

खानपान में बदलाव की वजह से कई जीव उनके खानपान में शामिल हो रहे हैं। इनमें से कई जीव तो ऐसे जिनमें काफी बैक्टीरिया व खतरनाक वायरस होते हैं। यह तेजी से संक्रमण फैलाते हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान (आईएलआरआई) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार मनुष्यों में लगभग 60 प्रतिशत ज्ञात संक्रामक रोग और सभी उभरते संक्रामक रोगों में से 75 प्रतिशत ज़ूनोटिक हैं

 

 

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। बीते कुछ दशकों में जानवरों से होने वाली बीमारियां लगातार बढ़ रही है। कोरोना हो, निपाह और हेनीपेवीरल डिसीज या रिफ्ट वैली फीवर सभी बीमारियां जानवरों के माध्यम से हो रही है। जानवरों के मार्फत इंसानों में होने वाली बीमारी को जूनोटिक बीमारी कहा जाता है। जूनोटिक बीमारियां से लाखों लोगों की हर साल जान जा रही है। वहीं विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर इंसानों ने पर्यावरण और जंगली जीवों को नहीं बचाया तो उसे कोरोना जैसी और खतरनाक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं व्यक्तियों का बदलता खानपान भी जूनोटिक बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। खानपान में बदलाव की वजह से कई जीव उनके खानपान में शामिल हो रहे हैं। इनमें से कई जीव तो ऐसे जिनमें काफी बैक्टीरिया व खतरनाक वायरस होते हैं। यह तेजी से संक्रमण फैलाते हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और अंतर्राष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान (आईएलआरआई) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, मनुष्यों में लगभग 60 प्रतिशत ज्ञात संक्रामक रोग और सभी उभरते संक्रामक रोगों में से 75 प्रतिशत ज़ूनोटिक हैं।

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