जिनेवा, 22 अगस्त (आईएएनएस)।अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) केवल कुछ ही कामाें में मदद कर सकती है। इससे कई नौकरियां खतरे से बाहर हैं लेेकिन वहीं इससे निम्न आय वाले देशों में क्लेरिकल जॉब्स कभी नहीं उभर सकेंगी।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकांश नौकरियां और उद्योग ऑटोमेशन से आंशिक रूप से प्रभावित होंगे। वहीं कई इस पर पूरी तरह से निर्भर हो जाएंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सबसे बड़ा प्रभाव नौकरियों का विनाश नहीं बल्कि नौकरियों की गुणवत्ता और तीव्रता को बढ़ा़ना है।
लेखकों ने कहा कि तकनीकी परिवर्तन के परिणाम पूर्व निर्धारित नहीं हैं। ऐसी तकनीकों को शामिल करने के निर्णय के पीछे इंसान ही हैं और इंसानों को ही इस प्रक्रिया का मार्गदर्शन करने की जरूरत है।
क्लर्कों की नौकरियों को सबसे अधिक जोखिम वाली श्रेणी में पाया गया है। जिसमें लगभग एक चौथाई क्लर्कों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। वहीं आधे से अधिक कार्यों में मध्यम स्तर का जोखिम माना गया है।
अन्य व्यावसायिक समूहों में, प्रबंधकों, पेशेवरों और तकनीशियनों सहित कार्यों का केवल एक छोटा हिस्सा अत्यधिक जोखिम वाला पाया गया। वहीं लगभग एक चौथाई में खतरा मध्यम स्तर पर था।
अध्ययन में पाया गया कि उच्च आय वाले देशों में 5.5 प्रतिशत नौकरियां जेनरेटिव एआई के संपर्क में है, जबकि कम आय वाले देशों में यह आंकड़ा 0.4 प्रतिशत है।
दूसरी ओर, सभी देशों में वृद्धि की संभावना लगभग समान है, जिससे पता चलता है कि सही नीतियों के साथ, तकनीकी परिवर्तन की यह नई लहर विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण लाभ प्रदान कर सकती है।
अध्ययन में कहा गया है कि जेनरेटिव एआई का असर पुरुषों और महिलाओं पर अलग-अलग देखने को मिलेगा। इसमें कहा गया है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। इसका कारण यह है कि उच्च और मध्यम आय वाले देशों में क्लेरिकल जॉब्स में महिलाएं ज्यादा हैं।
आईएलओ के अध्ययन में जोर दिया गया है, क्लेरिकल जॉब्स महिला रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत रही हैं । जेनरेटिव एआई का एक परिणाम यह हो सकता है कि कम आय वाले देशों में कुछ क्लेरिकल जॉब्स कभी भी उभर नहीं पाएंगी।
–आईएएनएस
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