चैटजीपीटी निर्माता ओपनएआई के 2024 तक दिवालिया होने की आशंका

चैटजीपीटी निर्माता ओपनएआई के 2024 तक दिवालिया होने की आशंका

नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। चैटजीपीटी निर्माता ओपनएआई को अगर जल्द ही ज्यादा फंडिंग नहीं मिली तो 2024 के अंत तक दिवालिया हो सकता है।

एनालिटिक्स इंडिया मैगजीन ने बताया कि चैटजीपीटी वेबसाइट पर साल के पहले 6 महीनों में लगातार यूजर की गिरावट देखी गई है।

एनालिटिक्स कंपनी सिमिलरवेब के डेटा से पता चला है कि जून में 1.7 बिलियन और मई में 1.9 बिलियन से घटकर जुलाई में यूजर्स 1.5 बिलियन हो गए। इसमें एपीआई या चैटजीपीटी मोबाइल ऐप शामिल नहीं है।

डेटा को लेकर एक थ्योरी में मानना यह है कि मई में छात्र स्कूल से बाहर थे, दूसरे का कहना है कि लोगों ने मूल पेशकश का उपयोग करने के बजाय, अपने खुद के बॉट बनाना शुरू कर दिया।

एक यूजर ने ट्वीट में कहा, “मुझे अब काम पर चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है, लेकिन हमने चैटजीपीटी के आधार पर अपना इंटरनल मॉडल डेवलप किया है।”

एक और मामला यह है कि ओपनएआई द्वारा चैटजीपीटी डेवलप करने के बाद, जिसने इस डर से जॉब मार्केट में हंगामा मचा दिया है कि यह ह्यूमन क्रिएटिविटी की जगह ले सकता है, मई में द इंफॉर्मेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल इसका घाटा दोगुना होकर लगभग 540 मिलियन डॉलर हो गया।

यह तब हुआ है जब चैटजीपीटी को संचालित करने में हर दिन 700,000 डॉलर (5.80 करोड़ रुपये) की भारी लागत आती है।

यहां तक कि ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने भी एक ट्वीट में स्वीकार किया कि गणना लागत परेशान करने वाली है।

इन्वेस्टोपेडिया की एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ओपनएआई, एंथ्रोपिक या इन्फ्लेक्शन जैसी किसी भी एआई लीडिंग कंपनी के लिए प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) बाजार में प्रवेश करना बहुत जल्दी है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी आईपीओ को सफल होने में कम से कम 10 साल का परिचालन और 100 मिलियन डॉलर का राजस्व लगता है।”

इसके अलावा, अरबपति एलन मस्क भी प्रतिद्वंद्वी चैटबॉट बनाने के दावे के साथ दबाव बढ़ा रहे हैं।

जबकि माइक्रोसॉफ्ट समर्थित ओपनएआई ने 2023 में 200 मिलियन डॉलर का वार्षिक राजस्व का अनुमान लगाया है, और 2024 में 1 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है, इसका घाटा बढ़ रहा है। यह मुख्य रूप से माइक्रोसॉफ्ट के 10 बिलियन डॉलर के निवेश पर जीवित है।

–आईएएनएस

पीके/एसकेपी

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