एससीओ की अंतर सरकारी समिति ने सर्वसम्मति से भारत द्वारा डीपीआइ को लागू करने का फैसला किया…

एससीओ की अंतर सरकारी समिति ने सर्वसम्मति से भारत द्वारा डीपीआइ को लागू करने का फैसला किया…

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अंतर सरकारी समिति ने सर्वसम्मति से भारत द्वारा विकसित डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआइ) को लागू करने का फैसला किया है। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने दी है। एससीओ में भारत, चीन, रूस और पाकिस्तान सहित आठ देश हैं। भारत इससे पहले यूपीआइ की सुविधा से दर्जन भर से ज्यादा देशों को जोड़ने का समझौता कर चुका है।

एससीओ से संवाद सहयोगी देशों को भी सुविधा

भारत ने यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआइ) और आधार की तरह ही डीपीआइ को भी विकसित किया है। इससे जनसामान्य को बड़ा लाभ हुआ है। इस लाभ को व्यापक रूप देने के लिए इसे एससीओ के सदस्य देशों तक पहुंचाने का प्रस्ताव भारत ने रखा था। तकनीक रूप से विकसित चीन और रूस का इसे स्वीकार करना बड़ी बात है। इसे भारत के बढ़ते तकनीक प्रभाव का सुबूत माना जा सकता है।

भारत की योजना डीपीआइ से एससीओ के सदस्य देशों- चीन, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ ही सदस्यता इच्छुक देशों- अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया को जोड़ने की है। इसके अतिरिक्त एससीओ से संवाद सहयोगी देशों- आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्किये को भी डीपीआइ की सुविधा दी जा सकती है।

सरकार और जनता को बराबर का लाभ

वैष्णव ने डीपीआइ को सदस्य देशों के विकास के लिए बहुत उपयोगी करार दिया है। कहा है कि इससे तकनीक का लोकतंत्रीकरण संभव होगा और लोग पारदर्शी तरीके से तकनीक के लाभ पा सकेंगे। यह तकनीक सरकारी तंत्र की व्यवस्थाओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने में सक्षम है, इसलिए इसका सरकार और जनता को बराबर का लाभ होगा और इससे पूरे तंत्र की तरक्की होगी।

भारत सरकार ने विभिन्न देशों को तकनीक के जरिये जोड़ने की जो पहल की है यह उसी दिशा में कदम माना जा रहा है। जी 20 देशों के अध्यक्ष के रूप में सदस्य देशों के समक्ष भी भारत यह प्रस्ताव रख सकता है। भारत यह पहल बिना किसी आर्थिक लाभ और अपेक्षा के कर रहा है। भारत का उद्देश्य केवल भारतीय स्टार्टअप की ताकत को दिखाना और दुनिया के अभावग्रस्त तबके को तरक्की राह दिखाना है।

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