आईएएनएस रिव्यू : करण पटेल ने अपनी पहली फिल्म 'डारन छू' में अनोखे ढंग से उठाया संवेदनशील मुद्दा

आईएएनएस रिव्यू : करण पटेल ने अपनी पहली फिल्म 'डारन छू' में अनोखे ढंग से उठाया संवेदनशील मुद्दा

मुंबई, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। करण पटेल स्टारर फिल्म ‘डारन छू’ की कहानी जीवन की चुनौतियों से परेशान एक युवक ‘मानव अवस्थी’ की है। आर्थिक तंगी, पारिवारिक विवादों और टूटे सपनों के चलते उसकी कुछ कर दिखाने की उम्मीद धीरे-धीरे खत्म होती जाती है।

पराजित होकर और पूरी तरह से निराश होकर, वह डूबने के इरादे से एक झील में कूद जाता है। जब वह डूब रहा होता है, तो कोई उसे हाथ देकर बचा लेता है। पानी से बाहर ले आने पर घबराकर वह अजनबी से कहता है कि वह गलती से पानी में फिसल गया था।

लेकिन, जब उसे ध्यान आता है कि वह जानबूझकर मरने के लिए झील में कूदा था, तो मानव अपनी जान बचाने के लिए उस अजनबी को डांटता है, और बताता है कि उसने खुद को मारने के लिए बहुत साहस जुटाया था। अब शायद वह दोबारा इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाएगा, क्योंकि उसे पता है कि यह कितना दर्दनाक है।

फिल्म में अजनबी का नाम जग्गा जुगाडू होता है। वह अपने नाम की तरह प्रॉबल्म-सोल्विंग एजेंट है।

जुगाडू अपनी मौत के बाद अपने परिवार को प्रदान करने के लिए एक जीवन बीमा पॉलिसी का सुझाव देता है। और, इससे मानव में कुछ बदलाव आता है।

मानव को यह विचार पसंद आता है और वह आगे बढ़ता है। इस दौरान दूसरी डेथ पॉलिसी सामने आती है, जिससे मानव को जीने के लिए केवल दस दिन मिलते हैं। जल्द ही मानव के जीवन में एक नया मोड़ आता है। उसकी आर्टिस्टिक स्किल्स, जिसके बारे में उसने कभी ज्यादा सोचा नहीं था, उसे आशा की एक नई किरण देता है।

अब वह आर्टिस्ट बनने की राह पर है, जिसमें उसे सफलता भी मिल रही है, लेकिन विडंबना यह है कि मौत उसके सामने खड़ी है और वह जीना चाहता है। मानव अब मौत से बचने के सभी संभावित तरीके ढूंढता है। इस दौरान जुगाड़ू मानव को एक बड़े खतरे में डाल देता है।

इस खतरे के सामने, मानव और डॉली का प्यार गहरा होता जाता है, उसका परिवार और कम्युनिटी एक अटूट बंधन बनाते हैं। ऐसे में मन में सवाल आता है कि क्या मानव, अपने परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के सपोर्ट से जीत पाएगा?

यहां फिल्म की कहानी नया मोड़ लेती है। चालाक जुगाड़ू मानव के नई जिंदगी शुरू करने की राह में रोड़ा बनता है। मानव प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरकर, जीवित रहने की हरसंभव कोशिश करता है।

अपनी पहली फिल्म में, लेखक-निर्देशक भारत रतन जीवन शैली में गहराई से उतरकर एक अलग दृष्टिकोण अपनाते हैं। फिल्म में रोजमर्रा की जिंदगी का वास्तविक और अनफिल्टर्ड चित्रण स्क्रीन पर लाने की कोशिश की गई है।

करण पटेल टीवी इंडस्ट्री का बड़ा नाम हैं। उन्होंने बड़े पर्दे पर शानदार शुरुआत की है। मानव अवस्थी के रूप में करण लोगों की दिलों में आसानी से जगह बना लेंगे। लोग उनकी ओर आकर्षित हो जाएंगे। उनका प्रदर्शन दिल छू लेने वाला है। करण का बड़े पर्दे पर डेब्यू उनकी प्रतिभा का एक नया आयाम दिखाता है, जिससे दर्शक अधिक उत्सुक हैं।

यह निश्चित रूप से सिल्वर स्क्रीन पर एक उज्ज्वल करियर की आशाजनक शुरुआत है। जुगाड़ू के रूप में अपनी भूमिका में, प्रशंसित आशुतोष राणा अपनी अविश्वसनीय बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं। वह एक ऐसे प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार करते हैं जो इमोशन्स का एक रोलर-कोस्टर है। यह सहजता से हास्य का मिश्रण है।

जब आप सोचते हैं कि आपने उन्हें समझ लिया है, तो वह डरावनी और दुश्मनी के साथ आते हैं। राणा अपनी एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं। वो जितना मनोरंजक है उतना ही रहस्यमय भी है।

भोपाल शहर में फिल्माई गई इस फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और प्रोडक्शन वैल्यू स्टैंडर्ड है। ‘डारन छू’ टाइटल ट्रैक अच्छा है और विजय वर्मा का ‘भन्नत छोकरी’ ट्रैक चार्ट बस्टर है। जैसे-जैसे फिल्म सामने आती है, बैकग्राउंड स्कोर अपने आप में एक जीवंत बन जाता है।

साउंडट्रैक एक पृष्ठभूमि से कहीं अधिक है। यह फिल्म की जान है, जो क्रेडिट रोल के बाद भी लंबे समय तक हमारे दिलों में बनी रहती है।

‘डारन छू’ ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म मेकिंग स्टाइल का एक सैंपल है। एक पॉजिटिव मैसेज के साथ एक सरल और मनोरंजक सोशल ड्रामा है कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए।

यह फिल्म मानव हृदय की अदम्य भावना का एक प्रमाण है, जो यह साबित करती है कि तूफान के बादल चाहे कितने भी काले क्यों न हों, उन्हें भीतर की अदम्य रोशनी से जीता जा सकता है। जब लगे डर, चिल्लाओ ‘डारन छू’।

थिएटर छोड़ने के बाद भी यह मैसेज लंबे समय तक आपके दिमाग में रहता है।

आईएएनएस की ओर से इस फिल्म को 4 स्टार दिए जाते हैं।

–आईएएनएस

पीके/एबीएम

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